प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप योजना में किया गया संशोधन
डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान की गुणवत्ता को सुधारने के लिए गुरुवार को प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (पीएमआरएफ) योजना में कई संशोधनों की घोषणा की।

नई दिल्ली | मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान की गुणवत्ता को सुधारने के लिए गुरुवार को प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (पीएमआरएफ) योजना में कई संशोधनों की घोषणा की।
इन संशोधनों का मकसद इस फेलोशिप का लाभ ज्यादा से ज्यादा शोधकर्ताओं तक पहुंचाना है। 2018-19 के बजट में की गई इस योजना का लाभ सभी आईआईटी, आईआईएसईआर, बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान, शीर्ष केंद्रीय विश्वविद्यालय और एनआईटी जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी में डिग्री प्रदान करने वाले संस्थान अपने यहां शोध करने वाले छात्रों को दे सकते है।
केंद्रीय मंत्री डॉ निशंक ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने हमेशा से देश में अनुसंधान, प्रौद्योगिकी एवं नए प्रयोगों को बढ़ावा देने का संकल्प लिया है। इसी दिशा में 2018-19 के बजट में सरकार ने पीएमआरएफ की घोषणा की थी। इस योजना का लाभ ज्यादा से ज्यादा छात्रों तक पहुंचे इसलिए आज इसमें संशोधन भी किये गए हैं। अब किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान, विश्वविद्यालय, आईआईएससी, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएसईआर, आईआईईएसटी, केंद्र पोषित आईआईआईटी के अलावा छात्रों के लिए, गेट स्कोर की आवश्यकता 750 से घटाकर 650 के अलावा कर दी गयी है और न्यूनतम सीजीपीए 8 या इसके बराबर होना चाहिए।"
इसके अलावा अब इसमें प्रविष्टि भेजने के दो चैनल होंगे, डायरेक्ट और लैटरल। नए दिशानिर्देशों के अनुसार लैटरल प्रविष्टि भेजने वाले छात्र जो पीएमआरएफ अनुदान देने वाले संस्थानों से पीएचडी कर रहे हैं (जो कुछ आवश्यकताओं के अनुसार 12 या 24 महीने पूरे कर चुके हैं) भी इस योजना के तहत फेलो बनने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
इस योजना के अंतर्गत इसमें वो एनआईटी भी शामिल हो सकते हैं जो एनआईआरएफ की समग्र रैंकिंग में शीर्ष 25 संस्थानों में आते हैं।
इस योजना के लिए उम्मीदवारों को एक चयन प्रक्रिया से गुजरना होगा और उनके प्रदर्शन की समीक्षा एक राष्ट्रीय सम्मलेन के माध्यम से की जाएगी।


