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ब्लड बैंक में खून का टोटा

अम्बिकापुर ! मेडिकल कॉलेज अस्पताल सह जिला अस्पताल में ब्लड बैंक में एक हजार यूनिट ब्लड रखने की क्षमता है, परंतु वर्तमान में मात्र चार यूनिट ब्लड ही शेष रह गया है।

ब्लड बैंक में खून का टोटा
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एक हजार स्टोरेज की क्षमता और मात्र चार यूनिट ब्लड
अम्बिकापुर ! मेडिकल कॉलेज अस्पताल सह जिला अस्पताल में ब्लड बैंक में
एक हजार यूनिट ब्लड रखने की क्षमता है, परंतु वर्तमान में मात्र चार यूनिट ब्लड ही शेष रह गया है। आंकड़ों को मानें तो फरवरी 1 से अब तक केंद्रीय जेल के ही 26 बंदियों को नि:शुल्क ब्लड प्रदान किया जा चुका है। वहीं सिकलसेल बीमारी से ग्रसित 103 लोगों को बिना एक्सचेंज के ब्लड प्रदान किया गया है। ऐसे में ब्लड बैंक में खून का टोटा होना लाजमी है।
ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. आजाद भगत की मानें तो नियम यह कहता है कि किसी भी व्यक्ति को अगर ब्लड की आवश्यकता है तो एक्सचेंज नियम से ही ब्लड दिया जाना चाहिये। इससे ब्लड बैंक में ब्लड की कमी नहीं रहती, पंरतु बंदियों व सिकलसेल, थैलेसिमिया जैसे मरीज ऐसे हैं जिन्हें सही वक्त पर कोई ब्लड नहीें दे पाता। मजबूरी वश उन्हें यहां से बिना एक्सचेंज किये हैं। ब्लड दे दिया जाता है। इससे अलग केंद्रीय जेल की बात करें तो 90 दिनों में 26 यूनिट ब्लड सिर्फ बंदियों को जरूरत होना गंभीर विषय है। जेल के अंदर किस प्रकार से बंदियों को भोजन मिल रहा है और क्या उन्हें सही समय पर चिकित्सा सुविधा मिल पा रही है। यह तो मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ब्लड बैंक के आंकड़े ही बयां कर रहे हैं। दूसरी तरफ सिकलसेल बीमारी की बात करें तो ऐसे मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है। दिनों दिन बढ़ती ऐसे मरीजों की संख्या ने ब्लड बैंक के कई रजिस्टर भरे पड़े हैं। महीने व सप्ताह भर में ऐसे मरीजों को खून की जरूरत पड़ते रहती है। शायद यही वजह है कि अस्पताल के ब्लड बैंक में मात्र चार यूनिट ब्लड ही बच सका है।
सोमवार को लगाएंगे
शिविर-भगत
ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. भगत ने कहा कि सिकलसेल व बंदियों को बिना एक्सचेंज ब्लड चले जाने से अकसर ब्लड बैंक की स्थिति नाजुक रहती है। इसके लिये समय-समय पर हमारे द्वारा शिविर का आयोजन किया जाता है। इस सोमवार को भी स्वेच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन अस्पताल में किया गया है। उन्होंने अपील की है कि इस शिविर में सामाजिक संस्थाओं सहित अन्य लोग ज्यादा से ज्यादा हिस्सा लें, ताकि जरूरतमंदों को खून मिल सके।


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