अमरनाथ यात्रा अधर में, हाईकोर्ट सरकार के जवाब से नाखुश
कोरोना के कारण इस बार की अमरनाथ यात्रा फिलहाल अधर में लटक गई है।

जम्मू । कोरोना के कारण इस बार की अमरनाथ यात्रा फिलहाल अधर में लटक गई है। पूरी तैयारियों के बावजूद प्रशासन इसको संपन्न करवाने का अंतिम निर्णय नहीं ले पा रहा है जबकि श्रावण पूर्णिमा 3 अगस्त को है जब यात्रा का समापन हो जाता है।
पहले मामला हाईकोर्ट में था। अब हाईकोर्ट ने गेंद श्राइन बोर्ड के पाले में डाल दी है। इन शर्तों के साथ की सिर्फ शिरकत करने वले श्रद्धालुओं का ही नहीं बल्कि उनके लिए की जाने वाली व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी संभालने वाले हजारों सुरक्षाकर्मियों व अन्य लोगों की सेहत का भी ख्याल रखा जाए।
जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट प्रशासन के जवाब से नाखुश दिखा था। कारण स्पष्ट था। ऐसे में जबकि पूरी कश्मीर वादी एक बार फिर कोरोना के तेजी से बढ़ते कदमों के कारण पूर्ण लाकडाउन की ओर बढ़ रही थी तो प्रशासन इसके प्रति कोई संतुष्टिजनक जवाब नहीं दे पा रहा था कि आखिर अमरनाथ यात्रा करवाने की जिद्द क्यों है। तर्क देने वाले हिमाचल की मणिमहेश यात्रा व प्रदेश में होने वाली अन्य धार्मिक यात्राओं का उदाहरण देते थे जिन्हें इस बार स्थगित कर दिया गया था।
श्राइन बोर्ड के सूत्रों के बकौल, कई अधिकारी यात्रा टालने के पक्ष में हैं। उनका मानना था कि यात्रा को संपन्न करवाने का फैसला श्रद्धालुओं की जान जोखिम में डालने जैसा है। ‘आ बैल मुझे मार की परिस्थिति पैदा की जा रही है, एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा था।
इतना जरूर था कि कश्मीर में भी अब अमरनाथ यात्रा के प्रति विरोध के स्वर बुंलद होने लगे थे। विरोध करने वाले कहते थे कि अगर कश्मीर में मस्जिदों में नमाज अता करने की इजाजत नहीं है तो अमरनाथ यात्रा को क्यों संपन्न करवाया जाना है। कुछेक के अनुसार, प्रशासन पर्यटन को खोल कर तथा अमरनाथ यात्रियों को बुलावा देकर बहुत बड़ी मुसीबत मोल लेने जा रहा है।
फिलहाल अधर में लटकी अमरनाथ यात्रा में शिरकत कौन करेगा, कितने लोग होंगें, कब से यात्रा शुरू होगी, कोरोना से बचाव की प्रक्रिया कैसे होगी के सवालों से सभी जूझ रहे थे।
--सुरेश एस डुग्गर--


