निगम की मंजूरी के बिना 95 एकड़ भूमि का आवंटन
उत्तरी दिल्ली नगर निगम की अनुमति के बिना खैबर पास इलाके में 95 एकड़ भूमि का आवंटन निजी बिल्डर को करने का मामला सीधे सीधे भ्रष्टाचार से जुड़ा है

नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम की अनुमति के बिना खैबर पास इलाके में 95 एकड़ भूमि का आवंटन निजी बिल्डर को करने का मामला सीधे सीधे भ्रष्टाचार से जुड़ा है।
इस भूमि का मूल्य 15 हजार करोड़ रुपये बताया जा रहा है। उक्त आरोप आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता दिलीप पांडेय और आतिशी मर्लिना ने पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में लगाए।
उन्होंने कहा कि निगम की भूमि लैंड एंड डेवलपमेंट ऑफिस एलएंड डीओद्ध द्वारा दिल्ली मेट्रो रेल निगम को दिए जाने और वहां से निजी बिल्डर को सौंपने की प्रक्रिया में भारी घोटाला दिखाई दे रहा है।
पांडेय ने कहा कि यह भाजपा शासित नगर निगम में अबतक का सबसे बड़ा भूमि घोटाला है। जिसका खुलासा उत्तरी दिल्ली नगर निगम की पूर्व अतिरिक्त आयुक्त रेणु के जगदेव की चिट्ठी से हुआ है। चिट्ठी में रेणु के.जगदेव ने रानी झांसी फ्लाईओवर निर्माण में सैकड़ों करोड़ का घोटाला होने की बात कही है।
साथ ही उन्होंने निगमायुक्त डॉ.मधुप व्यास पर आरोप लगाया है कि वे उन पर दबाव बना रहे थे कि खैबर पास वाली भूमि का मालिकाना हक एलएंड डीओ के पक्ष में जाने दें ताकि उस भूमि पर पार्श्वनाथ डेवलपर्स के बिल्डिंग प्लान को मंजूरी दी जा सके। जिसका विरोध करने पर रेणु को वापिस उनके गृह विभाग भेज दिया गया। मालिनी ने उपराज्यपाल से सवाल किया है कि उनकी नाक के नीचे हुए जमीन घोटाले का जिम्मेदार कौन है। उपराज्यपाल और मुख्य सचिव की अनुमति के बिना जमीन का हस्तांतरण कैसे हुआ।
अगर भाजपा, उपराज्यपाल और नगर निगम हमारे इन सवालों का जवाब नहीं देते हैं तो हम ये सवाल दिल्ली की सड़कों पर जनता के बीच उठाएंगे, हम ये सवाल विधानसभा में उठाएंगे और हम ये सवाल संसद तक लेकर जाएंगे, ये महा घोटाला दिल्ली की जनता के साथ नाइंसाफी हैए ये निगम स्कूल के उन शिक्षकों और सफाई कर्मचारियों के साथ नाइंसाफी है, जिनकी तनख्वाह देने के लिए भाजपा शासित नगर निगम के पास पैसे नहीं होते, भाजपा को बताना होगा कि इस जमीन के 15000 करोड़ रुपए किस-किस की जेब में गए।


