इलाहाबाद: गंगा और यमुना के जलस्तर में उतार-चढ़ाव जारी
पहाडी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के चलते इलाहाबाद में गंगा और यमुना के जलस्तर में उतार चढ़ाव जारी है
इलाहाबाद। पहाडी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के चलते इलाहाबाद में गंगा और यमुना के जलस्तर में उतार चढ़ाव जारी है। पिछले दिनों पहाडी क्षेत्रों में हई बरसात से और मध्य प्रदेश का पानी आने से टोंस उफान पर थी लेकिन अब स्थिति सामान्य है।
गंगा के जलस्तर में इजाफा को देखते हए सिंचाई विभाग को सतर्क कर दिया गया है। संगम तट पर बने घाट पानी में डूब गये हैं। बाढ प्रखण्ड अधिशासी अभियंता ने बताया कि कल आज आज में गंगा और यमुना के जलस्तर में थोडा उतार चढाव है।
गंगा का खतरे का निशान 84.34 मीटर है। फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 77. 93, छतनाग में 74.29 नैनी में यमुना 74.76 मीटर पर बह रही है जबकि कल गंगा फाफामऊ में 77.37, छतनाग में 74.37 जबकि नैनी में यमुना 74.80 मीटर पर बह रहीं थीं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले साल उत्तराखण्ड और मध्य प्रदेश में हई बारिश से यहां तबाही मची थी। एक महीने से अधिक समय तक शहर के कई मुहल्लों में पानी भरा रहा।
इस साल अभी बारिश नहीं आयी है लेकिन गंगा और यमुना के जल में उतार-चढाव शरू हो गया है। संगम नोज पर कटान होने से दुकानदार पीछे हटने लगे हैं। गंगा के सहारे संगम तट पर आजीविका चलाने वाले पंडे और दकानदार बाढ से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
घाट पर जहां पंडे यजमानों को पूजा-पाठ और तिलक लगाकर दक्षिणा और दान लेकर और दूसरे लोग फूल-माला, दीपक, दूर दराज से आये श्रद्धालओं को गंगा जल ले जाने के लिए प्लास्टिक के डिब्बे बेच कर आजीविका चलाते हैं, अभी से रूलाना शुरू कर दिया।
पंडा दीनानाथ ने बताया कि गंगा मइया की कृपा से यमजानों से दिनभर में 100-150 रूपये की आमदनी हो जाती थी लेकिन अब गंगा के बढते जलस्तर से यजमानों का आवागमन खत्म सा हो गया।
उन्होंने बताया कि हमारे पास आय का कोई दूसरा स्रोत नहीं है।केवल यजमानी ही स्रोत है।अब तो मश्किल से 50 रूपया भी मिलना भारी है।दर्शक गंगा किनारे आते हैं और उनके बढते जलस्तर को देखकर लौट जाते हैं।उन्होंने बताया कि जलस्तर बढे लेकिन गत वर्ष की तरह नहीं।पिछले साल बाढ ने बडी तबाही मचायी थी।


