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'हेमंत करकरे को श्राप' वाले प्रज्ञा के बयान की चौतरफा निंदा, भाजपा ने भी पल्ला झाड़ा

भाजपा की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का मुंबई एटीएस के प्रमुख रहे 26/11 के शहीद हेमंत करकरे पर प्रताड़ना का आरोप लगाना और यह कहना कि उन्होंने करकरे को श्राप दिया था

हेमंत करकरे को श्राप वाले प्रज्ञा के बयान की चौतरफा निंदा, भाजपा ने भी पल्ला झाड़ा
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भोपाल। मध्य प्रदेश के भोपाल संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का मुंबई एटीएस के प्रमुख रहे 26/11 के शहीद हेमंत करकरे पर प्रताड़ना का आरोप लगाना और यह कहना कि उन्होंने करकरे को 'श्राप दिया था, इसलिए वह आतंकवादियों का शिकार बने' पर देश ही नहीं, प्रदेश में भी तीव्र प्रतिक्रिया हुई है।

प्रज्ञा के इस बयान की जहां चौतरफा निंदा हो रही है, वहीं भाजपा ने इसे भावनात्मक तौर पर दिया गया बयान बताया है।

मालेगांव बम विस्फोट के आरोप में गिरफ्तारी और उन पर हुई कार्रवाई के बारे में प्रज्ञा ने कोलार क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से बात करते हुए कहा कि उन दिनों वह मुंबई जेल में थीं। जांच आयोग ने सुनवाई के दौरान एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे को बुलाया और कहा कि जब प्रज्ञा के खिलाफ कोई सबूत नहीं है तो उन्हें छोड़ क्यों नहीं देते। तब हेमंत ने उनसे कई तरह के सवाल पूछे, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि "यह भगवान जाने।" इस पर करकरे ने कहा था कि "तो, क्या मुझे भगवान के पास जाना होगा?"

प्रज्ञा ने कहा, "उस समय मैंने करकरे से कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा, उसी दिन से उस पर सूतक लग गया था और सवा माह के भीतर ही आतंकवादियों ने उसे मार दिया था। हिदू मान्यता है कि परिवार में किसी का जन्म या मृत्यु होने पर सवा माह का सूतक लगता है। जिस दिन करकरे ने सवाल किए, उसी दिन से उस पर सूतक लग गया था, जिसका अंत आतंकवादियों द्वारा मारे जाने से हुआ।"

26 नवंबर, 2008 को मुंबई में आतंकवादियों ने हमला किया था। इन आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए हेमंत करकरे शहीद हुए थे।

प्रज्ञा के बयान पर राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को ट्वीट कर बगैर किसी का नाम लिए कहा, "जिन लोगों ने आतंकवाद से लड़ते हुए अपने देश की रक्षा के लिए शहादत दी है, सीने पर गोलियां खाई हैं, उनकी शहादत का अपमान करने का हक देश में किसी को नहीं है। एक तरफ आतंकवाद व शहीदों के नाम का अपने राजनैतिक फायदे के लिए उपयोग और दूसरी ओर ऐसे बयान? यह दोहरा चरित्र नहीं चलेगा।"

वहीं भोपाल से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्जिवय सिंह ने प्रज्ञा ठाकुर पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया। उन्होंने हेमंत करकरे की शहादत को देश के लिए गर्व बताते हुए कहा, "वे ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी थे। उन्होंने देश की रक्षा के लिए अपनी जान गंवाई थी। देश के लिए दहादत देने वालों पर किसी को भी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।"

राज्य सरकार के मंत्री और दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह ने कहा, "हेमंत करकरे ने इस देश के लिए बलिदान दिया है। उनके बलिदान और निष्ठा को कलंकित करना शर्मनाक है। सत्ता की ताकत से सत्य को कुछ देर के लिए तो रोका जा सकता है, लेकिन अंत में सत्य और इंसानियत की ही जीत होगी।"

प्रदेश भाजपा के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने एक बयान जारी कर कहा, "हेमंत करकरे को लेकर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बयान को अमानवीय अत्याचारों से उपजी भावुकता में दिया गया वक्तव्य ही समझना चाहिए, क्योंकि उनके ऊपर बेहद संगीन अत्याचार हुए हैं। वह मौत के मुंह से निकल आई है।"

उन्होंने कहा, "भाजपा का मत बहुत स्पष्ट है कि जो लोग देश के लिए शहीद होते हैं, उन्हें सर्वोच्च सम्मान दिया जाना हमारा राष्ट्रधर्म है। करकरे आतंकवादियों से बहादुरी से लड़ते हुए शहीद हुए थे।"

साध्वी प्रज्ञा का हेमंत करकरे को लेकर दिया


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