उप्र में शारदा के अलावा सभी नदियां स्थिर
उत्तर प्रदेश में शारदा को छोड़ लगभग सभी नदियों का जलस्तर घटने लगा है। शरदा के जलस्तर बढ़ने के कारण सीतपुर समेत उसके आस-पास के क्षेत्रों में हालात खराब हैं

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शारदा को छोड़ लगभग सभी नदियों का जलस्तर घटने लगा है। शरदा के जलस्तर बढ़ने के कारण सीतपुर समेत उसके आस-पास के क्षेत्रों में हालात खराब हैं। घाघरा, राप्ती, सरयू अपने हाल पर स्थिर है या जलस्तर कुछ घट रही है। इससे प्रभावित होने वाले जिले गोरखपुर, बलरामपुर, श्रवास्ती है। अभी यहां पर कुछ हालात ठीक है।
शारदा नदी जलस्तर बढ़ने के कारण यहां पर कटान का डर लोगों को सताने लगा है। इससे किसानों की परेशानी बढ़ रही है। कुछ लोगों की धान की फसल पूरी तरह डूब गई है। इससे नुकसान हो गया है। कुछ लोगों के घरों में पानी भर रहा है।
पलियां के सरदार हरप्रीत सिंह ने बताया कि पानी पहले बढ़ रहा है, फिर घट रहा है। इससे बहुत ज्यादा परेशानी बढ़ रही है। लोग पलायन करने पर मजबूर हैं। किसानों की फसल बहुत ज्यादा बर्बाद हो रही है। लोगों के धान की पूरी फसल बर्बाद हो गई है।
निघासन शारदा की बाढ़ के कारण चार दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ आ गई है। आलम यह है कि लोग चारपाई के नीचे ईंट आदि रखकर उसे ऊंचा करके घरों में कैद हैं। धौरहरा तहसील क्षेत्र में शारदा का जलस्तर बढ़ने से गांवों में पानी घुस गया।
लखीमपुर की एसडीएम पूजा यादव ने बताया कि बाढ़ को देखते हुए इलाके में पांच केंद्र बनाए गए हैं। इनमें संपूर्णानगर पब्लिक इंटर कालेज, पलिया तहसील मुख्यालय, त्रिलोकपुर नौगवां बाजार, चंदन चौकी एकीकृत जनजातीय परियोजना कार्यालय, भीरा जिला पंचायत इंटर कालेज शामिल हैं। इसके अलावा 12 बाढ़ चौकियों की स्थापना की गई है। सभी चौकियों की जिम्मेदारी एक राजस्वकर्मी को दी गई है।
उन्होंने बताया कि शारदा नदी से आने वाली बाढ़ से बचाव व उनकी निगरानी के लिए प्रशासन की तरफ से पांच बाढ़ केंद्र व 12 चौकियों की स्थापना की गई है। इसको लेकर हर केंद्र पर निगरानी के लिए राजस्वकर्मियों की भी तैनाती की गई है।
सिंचाई एवं जल संसाधान विभाग के मुख्य अभियंता ए.के. सिंह ने बताया कि शारदा नदी अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इसका जलस्तर 154़ 100 क्यूसेक है। इसमें 0़ 390 क्यूसेक की बढ़ोतरी हुई है। इसका खतरे का निशान 153़ 620 क्यूसेक है। वहीं राप्ती आज स्थिर है। यह 126 गेज मीटर से बह रही है, जबकि इसका खतरे का निशान 127़ 70 क्यूसेक होता है। घाघरा भी शुक्रवार को स्थिर रही। इसका जलस्तर 63़ 760 क्यूसेक है, जबकि इसका खतरे का निशान 64़ 010 क्यूसेक पर है।
बाढ़ राहत आपदा प्रबंधन विभाग कार्यालय के पदाधिकारियों ने बताया कि जहां पर जलस्तर की बढ़ोतरी ज्यादा है, वहां पर अधिकारियों का अलर्ट रहने को कहा गया है। एनडीआरएफ की टीमों को चौकन्ना किया गया है। साथ ही चौकियों में भी बढ़ोतरी की जा रही है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।


