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सर्वोपयोगी क्रियात्मक योग गुरु गोरक्षनाथ की देन : योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि योग के मूल आचार्य भगवान शिव हैं

सर्वोपयोगी क्रियात्मक योग गुरु गोरक्षनाथ की देन : योगी
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि योग के मूल आचार्य भगवान शिव हैं। लेकिन मानव जगत के लिए योग का दार्शनिक पक्ष महर्षि पतंजलि और व्यावहारिक या क्रियात्मक पक्ष महायोगी श्री गुरु गोरखनाथ की देन है। योग का यह क्रियात्मक पक्ष हर उम्र के व्यक्ति के लिए उपयोगी है। मुख्यमंत्री अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद एवं महायोगी गोरक्षनाथ योग संस्थान की ओर से योग पर आयोजित ऑनलाइन कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि क्रियात्मक पक्ष महायोगी श्री गुरु गोरखनाथ की देन है। योग का यह क्रियात्मक पक्ष हर उम्र के व्यक्ति के लिए उपयोगी है। इनके जरिए वह शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ प्राप्त करने के साथ आध्यात्मिक जगत के रहस्यों को भी समझ सकता है। आध्यात्मिक रहस्य को जानने के लिए शरीर और मन का स्वस्थ्य होना जरूरी है। और यह योग द्वारा ही संभव है। हर किसी को अपनी दिनचर्या में योग को अनिवार्य रूप से शामिल करना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि योग मूलत: भारत की थाती है। प्रधानमंत्री ने इसे वैश्विक सम्मान दिलाकर सराहनीय कार्य किया। आज यह दिवस 200 से अधिक देशों में मनाया जाता है। इसका मतलब यह भी है कि इतने देशों से अपनी विरासत के जरिए भारत आत्मीय संवाद भी बनाता है। महामारी के कारण योग का यह कार्यक्रम इस बार सामूहिक रूप से संभव नहीं। लिहाजा, अपने घरों में परिवार के साथ योग करें।

उन्होंने कहा, "क्या करना है, कैसे करना है, इसके लिए केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने एक कॉमन योगा प्रोटोकॉल जारी किया है। आप योग करते हुए अपनी फोटो या वीडियो भी उस प्लेटफॉर्म पर अपलोड कर सकते हैं। केंद्र और राज्य सरकार अच्छे योगाभ्यासियों को पुरस्कृत भी करेगी।"

उन्होंने कहा कि कोरोना से घबराएं नहीं। इस सदी का यह सबसे कमजोर वायरस है। बस, इसके संक्रमण की गति तेज है। इसके संक्रमण से खुद को बचाना होगा। खासकर बच्चे, बुजुर्ग एवं जिनको पहले से ही कोई रोग है, वे इस संक्रमण के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील रहें।

योगी ने कहा कि पूर्व के वर्षो में इस दौरान योग शिविर लगते थे। योग के व्यावहारिक और सैद्धांतिक पक्ष पर भी विशेषज्ञ चर्चा करते थे, पर बदले हालात में ऐसा संभव नहीं। यहीं डिजिटल प्लेटफॉर्म की प्रासंगिकता बढ़ जाती है।


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