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गजा में नरसंहार खत्म होने की सारी उम्मीदें खत्म

गजा पट्टी में इजरायली रक्षा बलों के युद्ध अपराधों को लगातार समर्थन देने के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका को अंतत: अपने समर्थक देशों से बड़े अलगाव का सामना करना पड़ रहा है

गजा में नरसंहार खत्म होने की सारी उम्मीदें खत्म
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- सात्यकी चक्रवर्ती

गजा युद्ध में इजरायल का समर्थन करने वाले वर्तमान अमेरिका के करीबी सहयोगी ब्रिटेन ने भी मतदान में भाग नहीं लिया, लेकिन सुरक्षा परिषद के शेष 13 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया, जो आसपास के देशों के मजबूत समर्थन को दर्शाता है। युद्ध समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों में नाटो का एक प्रमुख सदस्य फ्रांस भी शामिल था।

गजा पट्टी में इजरायली रक्षा बलों के युद्ध अपराधों को लगातार समर्थन देने के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका को अंतत: अपने समर्थक देशों से बड़े अलगाव का सामना करना पड़ रहा है। बाइडेन सरकार को मंगलवार रात अंतरराष्ट्रीय निंदा का सामना करना पड़ा जब उसके प्रतिनिधि ने गजा में तत्काल मानवीय युद्धविराम की मांग करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को वीटो कर दिया।

महत्वपूर्ण बात यह थी कि गजा युद्ध में इजरायल का समर्थन करने वाले वर्तमान अमेरिका के करीबी सहयोगी ब्रिटेन ने भी मतदान में भाग नहीं लिया, लेकिन सुरक्षा परिषद के शेष 13 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया, जो आसपास के देशों के मजबूत समर्थन को दर्शाता है। युद्ध समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों में नाटो का एक प्रमुख सदस्य फ्रांस भी शामिल था।

हमास आतंकवादियों और इजरायल के बीच युद्ध पिछले साल 7 अक्टूबर को शुरू हुआ था जब हमास ने इजरायली ठिकानों पर अचानक हमला कर दिया था और अनेक इजरायली सैनिकों को मार डाला था और बंधक बना लिया था। इजरायल ने जवाबी कार्रवाई की। उस समय कई देशों ने हमास की कार्रवाई की निंदा की, लेकिन इज़रायल ने गाजा पट्टी में नागरिकों की बर्बर हत्या जारी रखी और घोषणा की कि जब तक हमास का एक भी आतंकवादी जीवित रहेगा, वे युद्ध नहीं रोकेंगे। इसका पूरा उद्देश्य फिलिस्तीनियों को गाजा पट्टी से खदेड़कर जातीय सफाया करना है।

गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 7अक्टूबर के बाद से, पिछले साढ़े चार महीनों में, इजरायल के सैन्य हमले में 29,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गये हैं, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। अब तक 1300 से अधिक इजरायली सैनिक मारे गये हैं। अंतर यह है कि जहां हमास के आतंकवादियों ने ज्यादातर इजरायली सैनिकों को मार डाला, वहीं इजरायलियों ने महिलाओं और बच्चों सहित फिलिस्तीनी नागरिकों को निशाना बनाया। इससे पहले भी अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर वीटो किया था लेकिन इस बार संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के पक्ष में व्यापक समर्थन मिला।

चीन के संयुक्त राष्ट्रदूत झांग जून ने वाशिंगटन के वीटो पर 'गंभीर निराशा और असंतोष' व्यक्त किया। दूत ने कहा कि अमेरिकी वीटो से गाजा में स्थिति और खतरनाक होने का गलत संदेश जाता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा युद्धविराम पर आपत्ति कुछ और नहीं बल्कि इजरायल को नरसंहार जारी रखने की हरी झंडी है।
क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएलडियाज़-कैनेलबरमूडेज़ ने भी अमेरिका पर हमला बोलते हुए कहा कि युद्धविराम के आह्वान को रोककर, अमेरिकी अधिकारियों ने खुद को 'फिलिस्तीन के खिलाफ इजरायल के इस नरसंहार में भागीदार' बना दिया।

फ्रांस, नॉर्वे, रूस, कतर, सऊदी अरब और फिलिस्तीनी प्राधिकरण सहित अन्य लोगों ने अमेरिकी वीटो की आलोचना की। यह गाजा में युद्धविराम की मांग करने वाले सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को अमेरिका द्वारा खारिज करने की तीसरी घटना थी। अमेरिकी राजदूत लिंडाथॉमस-ग्रीनफील्ड ने हालांकि दावा किया कि अल्जीरिया द्वारा पेश किया गया प्रस्ताव, बंधक समझौते पर संवेदनशील वार्ता पर 'नकारात्मक प्रभाव' डालेगा और लड़ाई में कम से कम छह सप्ताह के लिए रुकावट डालेगा।
पूरे गाजा में, इजरायल द्वारा हत्याओं का दौर जारी है, पिछले दो दिनों में कम से कम 67 फिलिस्तीनियों लोगों की जानें चली गई हैं। सहायता समूह डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने कहा कि इजरायली ऑपरेशन के दौरान गाजा पट्टी में उसके कर्मचारियों के आवास पर हमला होने से दो लोग मारे गये थे। वह एक ऐसा क्षेत्र है जहां फ़िलिस्तीनियों को आश्रय लेने के लिए कहा गया है।

विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने मंगलवार को उत्तरी गाजा में भोजन और सहायता वितरण को रोकने की घोषणा की, क्योंकि उसके ड्राइवरों को लॉरियों में इक_ा होने वाले हताश निवासियों की गोलीबारी और हिंसा का सामना करना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा कि दो साल से कम उम्र के छह बच्चों में से एक गंभीर रूप से कुपोषित है और लोग भूख से संबंधित कारणों से मर रहे हैं। डब्ल्यूएफपी ने कहा, 'इन पिछले दो दिनों में, हमारी टीमों ने अभूतपूर्व स्तर की हताशा देखी।'

जबकि एक प्रमुख ब्रिक राष्ट्र दक्षिण अफ्रीका युद्ध अपराधों के लिए इज़रायल को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले गया है, जिसने इज़रायली हत्याओं की कड़ी निंदा की है और इसे रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़इनासियो 'लूला' दासिल्वा ने अपने देश के राजदूत को वापस बुला लिया है। इसके बाद इज़रायल ने कहा कि लूला का उनके देश में तब तक स्वागत नहीं किया जायेगा जब तक कि वह साप्ताहांत में की गई अपनी उस टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांग लेते, जिसमें गाजा में फिलिस्तीनियों पर इज़रायल के हमले की तुलना नरसंहार से की गई थी। इज़रायल के विदेश मंत्री इज़रायल काट्ज़ ने लूला की टिप्पणियों को 'बहुत गंभीर यहूदी-विरोधी हमला' बताया।

ब्राजील के राष्ट्रपति ने रविवार को इथियोपिया के अदीसअबाबा में अफ्रीकी संघ शिखर सम्मेलन में कहा कि 'गाजा पट्टी और फिलिस्तीनी लोगों के साथ जो हो रहा है वह इतिहास में किसी अन्य क्षण में नहीं देखा गया।'

अजीब बात है कि जबकि अधिकांश प्रमुख ब्रिक देश गाजा पट्टी में नरसंहार के लिए इजरायल पर हमला कर रहे हैं, भारत अभी भी इजरायल के प्रति मैत्रीपूर्ण रवैया अपना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के साथ मित्रता है जिसका वह दिखावा भी करते हैं। फिलहाल इजरायल अपनी संबंधित गतिविधियों में भर्ती के लिए भारतीय बेरोजगार युवाओं की भर्ती कर रहा है। इज़रायल में युद्ध संबंधी इन नौकरियों के लिए कई हज़ारों लोगों ने आवेदन किया है। भारत सरकार इजरायली युद्ध मशीन की मदद के लिए भारतीय युवाओं को नौकरी करने की अनुमति दे रही है।


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