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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिकी हैं सबकी निगाहें

आखिरकार, जिन्ना-मुनीर के बावजूद, हम दो राष्ट्र हैं लेकिन एक दिल है और भारत-पाकिस्तान 'युद्ध' बहुत पहले भी हो चुके हैं

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिकी हैं सबकी निगाहें
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- सुशील कुट्टी

आखिरकार, जिन्ना-मुनीर के बावजूद, हम दो राष्ट्र हैं लेकिन एक दिल है और भारत-पाकिस्तान 'युद्ध' बहुत पहले भी हो चुके हैं। 'कारगिल युद्ध' एक दूर की याद बन चुका है। पाकिस्तान 'युद्ध' को टालने के लिए 'भारत के घरेलू राजनीतिक उद्देश्यों में उलझे होने' का हवाला क्यों दे रहा है? पाकिस्तान का यह कहना कि नई दिल्ली 'बिना किसी सुबूत और जांच के इस्लामाबाद को दंडित करना चाहती है' ।

हमेशा तैयार, हमेशा सतर्क', 'एडीजीपीआई - भारतीय सेना' ने सोशल मीडिया 'एक्स' पर यह दावा पोस्ट किया। पाकिस्तान और भारत ने एक दूसरे से निपटने की घोषणा कर दी है और संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कहते हैं कि युद्ध की स्थिति से निपटना भारत और पाकिस्तान पर निर्भर है, 'वे करीब हैं और कश्मीर 1500 वर्षों से उनके बीच है!'

भूल जाइए कि पाकिस्तान 1947 में बना था! पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ कहते हैं कि इस्लामाबाद 'युद्ध' नहीं चाहता, जबकि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरुआती 'पृथ्वी के छोर तक पीछा करने' की धमकी के बाद सभी को उलझन में डाल दिया है।

भारतीय इसे हिंदी में 'ऐन मौके पर धोखा' कहते हैं, जो 'पिच' के बजाय 'डिच' के लिए एक व्यंजना है। 'युद्ध' के लिए मोदी की पिच पुरानी, पुरानी, पुरानी हो गई है...
इतना ही नहीं, पाकिस्तान 'तटस्थ जांच' की मांग कर रहा है, जो पाकिस्तान के इस आरोप के साथ पूरी तरह मेल खाता है कि पहलगाम भारत का झूठा अभियान था! मरियम नवाज ऐसा कहती हैं। बिलावल भुट्टो और फवाद चौधरी भी ऐसा ही कहते हैं। शायद जेल की कोठरी में बंद इमरान खान भी ऐसा ही कहते हैं!

सिंधु नदी के प्रवाह पर खतरे की इ्स घड़ी में पूरा पाकिस्तान एकजुट है, 'गंगा-जमुना तहजीब' को भूल जाइए जो जिन्ना-मुनीर 'दो-राष्ट्र सिद्धांत', इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के अस्तित्व के कारण से मेल नहीं खाती!

रिपोर्ट कहती हैं कि जनरल मुनीर ने अपने परिवार को एक चार्टर्ड विमान में बिठाया और विमान रवाना हो गया! क्या पाकिस्तान, जो बहादुरी का देश है, ने पहले पलक झपकाई है? प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एबटाबाद में एक सैन्य अकादमी में कहा, 'पाकिस्तान किसी भी तटस्थ, पारदर्शी और विश्वसनीय जांच में भाग लेने के लिए तैयार है।' यह वही इलाका है जहां ओसामा बिन लादेन ने अपने निर्माता से मुलाकात की थी।

ओसामा को अमेरिकी 'सील्स' द्वारा समुद्र में एक सभ्य तरीके से दफनाया गया था- जो पाकिस्तान में घुस आये और बिन लादेन को पाकिस्तानी नाक के नीचे से छीन लिया- और अब शहबाज शरीफ कहते हैं कि 'पाकिस्तानी सेना किसी भी दुस्साहस के खिलाफ देश की संप्रभुता और इसकी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए पूरी तरह सक्षम और तैयार है। '

शहबाज ने फरवरी 2019 में भारत के लापरवाह आक्रमण के लिए पाकिस्तान की 'दृढ़ प्रतिक्रिया' की ओर इशारा किया और पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने कहा कि इस्लामाबाद 'अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों' के एक समूह द्वारा किसी भी जांच में 'सहयोग करने के लिए तैयार' है।

लेकिन इससे पहले कि कोई 'अंतरराष्ट्रीय निरीक्षक' इस आमंत्रण पर विचार कर पाता, पहलगाम की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फोर्स' ने यह कहते हुए अपना कदम पीछे खींच लिया कि वह दोषी नहीं है और उसकी वेबसाइट को 'हाईजैक' कर लिया गया है!

मौलिक प्रश्न यह है कि क्या 'युद्ध' होगा और 'युद्ध' को होने से कौन रोक रहा था? पहलगाम के बैसरन में आतंकी हमला अब लगभग एक सप्ताह पुराना हो चुका है और पाकिस्तान की जीवनरेखा 'सिंधु' में बहुत कम पानी बह पाया है!

सिंधु जल संधि 1960 से चली आ रही है और भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी युद्ध से कोई फर्क नहीं पड़ा। आज, 'नई दिल्ली' आगे बढ़ गयी है और उसने 'संधि' के साथ-साथ अन्य 'उपाय' लागू किए हैं, जो पाकिस्तान को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पाकिस्तान में मीडिया ने प्रधानमंत्री मोदी को 'गुजरात का कसाई' कहना शुरू कर दिया है!

फिर भी 'युद्ध' का कोई संकेत नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी किस बात का इंतजार कर रहे हैं और उनकी रणनीति क्या होगी? पाकिस्तानी रक्षा विशेषज्ञ तरह-तरह की बकवास फैला रहे हैं, जिसमें यह भी शामिल है कि भारत ने अपने 'दूसरे हमले के परमाणु सिद्धांत' में संशोधन किया है। दूसरे शब्दों में, अब कोई 'गांधीगिरी' नहीं होगी और यह सब 'मुन्ना भाई, एमबीबीएस' की बदौलत है!

अटारी सीमा पर गंभीर स्थिति है। पाकिस्तानी उच्चायोग उदास और वीरान है। यह सब मायावी 'युद्ध' की तैयारी में है। भारत में पकड़े गये पाकिस्तानी रोते हुए चले गये हैं; कुछ भारत के अत्याचार से बचना चाहते हैं और अन्य दिल बचाने के लिए यहीं रहना चाहते हैं


लेकिन भारतीय गृह मंत्री अमित शाह हमेशा चांद पर दूर के आदमी की तरह दिखते हैं। मई 1, 2025 अटारी सीमा के माध्यम से प्रवेश करने वाले सभी पाकिस्तानी नागरिकों के लिए भारत छोड़ने का आखिरी दिन है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पाकिस्तान ने भी अटारी के अपने हिस्से में बदला लिया।

आखिरकार, जिन्ना-मुनीर के बावजूद, हम दो राष्ट्र हैं लेकिन एक दिल है और भारत-पाकिस्तान 'युद्ध' बहुत पहले भी हो चुके हैं। 'कारगिल युद्ध' एक दूर की याद बन चुका है। पाकिस्तान 'युद्ध' को टालने के लिए 'भारत के घरेलू राजनीतिक उद्देश्यों में उलझे होने' का हवाला क्यों दे रहा है? पाकिस्तान का यह कहना कि नई दिल्ली 'बिना किसी सुबूत और जांच के इस्लामाबाद को दंडित करना चाहती है' कितना 'कायराना' लगता है!

पाकिस्तान 'युद्ध' से बचने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है और प्रधानमंत्री मोदी अपनी धमकी पर कायम हैं। हिंदुओं को पैंट नीचे करने के लिए कहना माफ नहीं किया जा सकता। ख्वाजा आसिफ को यह कहकर नहीं छोड़ा जाना चाहिए कि 'हम नहीं चाहते कि यह युद्ध भड़के, क्योंकि इस युद्ध के भड़कने से इस क्षेत्र में तबाही मच सकती है।'

ख्वाजा आसिफ ने यह बात न्यूयॉर्क टाइम्स से कही और न्यूयॉर्क टाइम्स ने मोदी को शुरू से ही पसंद नहीं किया। मोदी ने चुनावी बिहार की धरती से 'आतंकवादियों का धरती के छोर तक पीछा करने' का वायदा किया। 'मैं पूरी दुनिया से कहता हूं। भारत हर आतंकवादी और उनके समर्थकों की पहचान करेगा, उनका पता लगायेगा और उन्हें दंडित करेगा। हम उनका धरती के छोर तक पीछा करेंगे। आतंकवाद से भारत की आत्मा कभी नहीं टूटेगी। आतंकवाद को दंडित किये बिना नहीं छोड़ा जायेगा,' मोदी ने कहा, और अमेरिका की शीर्ष जासूस तुलसी गबार्ड भी 'हिंदू' हैं।

मोदी अपना समय क्यों ले रहे हैं? मोदी ने कहा, 'इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सज़ा मिलेगी' और 'पहलगाम' ने 'वक़्फ लड़ाई' पर पूर्ण विराम लगा दिया और असदुद्दीन ओवैसी जैसे मुस्लिम राजनेता चुप हो गये। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी चुप हो गया है। क्या सुप्रीम कोर्ट को काबू में कर लिया गया है? सब कुछ इस पर आ गया है कि 'रुकिए, युद्ध कभी भी छिड़ सकता है।'


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