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पारिवारिक गठबंधन निभाने में असफल अखिलेश, गैरों से कैसे निभायेंगे: भाजपा

 महागठबंधन को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव पर कटाक्ष करते हुये भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज कहा कि पारिवारिक गठबंधन निभाने में असफल सपा अध्यक्ष से विपक्ष को एकजुट करने की

पारिवारिक गठबंधन निभाने में असफल अखिलेश, गैरों से कैसे निभायेंगे: भाजपा
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लखनऊ। महागठबंधन को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव पर कटाक्ष करते हुये भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज कहा कि पारिवारिक गठबंधन निभाने में असफल सपा अध्यक्ष से विपक्ष को एकजुट करने की काबलियत पर सवालिया निशान लगाता है।

भाजपा प्रवक्ता डा चंद्रमोहन ने यहां पत्रकारों से कहा कि अपने पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश को पाल पोसकर राजनीति में खड़ा किया, उन्हीं से सपा अध्यक्ष अब खतरा महसूस कर रहे है। इस सोच के चलते वह किसी अन्य दल से गठबंधन कैसे कर पाएंगे।

डा चन्द्रमोहन ने कहा कि आज अखिलेश यादव की राजनीति में जो हैसियत है, वह इनके पिता और चाचा की बदौलत ही है जिन्होंने समाजवादी पार्टी की स्थापना कर उसे आगे बढ़ाया। अखिलेश ने पहले तो अपने पिता से पार्टी का नेतृत्व छीना और अब उनकी घोर उपेक्षा भी कर रहे हैं। अपने पुत्र की कारगुजारियों से बेहद दुखी होकर मुलायम सिंह यादव जी को सार्वजनिक मंच से कहना पड़ा कि आज उनका कोई सम्मान नहीं करता, शायद मरने के बाद करे। इस बयान से ही साबित हो जाता है कि मुलायम सिंह किस पीड़ा से गुजर रहे हैं।

प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि राजनीति में आने के बाद अखिलेश ने ऐसा कोई कार्य नहीं किया जिससे यह साबित हो सके कि वह एक गंभीर और राजनीतिक समझ रखने वाले नेता हैं। भाजपा विरोधी गठबंधन करने के लिए उन्होने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती के सामने समर्पण कर दिया है। बसपा के शासनकाल में मायावती ने सपा के समर्थकों पर काफी जुल्म ढाए थे। इसी जुल्म का विरोध करने के लिए मुलायम को सपा कार्यकर्ताओं के साथ सड़क पर उतरना पड़ा था। अखिलेश यादव ने भी अपने मुख्यमंत्रित्वकाल के दौरान अपनी कथित नाकामियों का ठीकरा मायावती सरकार पर फोड़ा था।

उन्होने कहा कि आज अखिलेश यादव अपने पिता और चाचा को हाशिए पर ढकेलकर सुश्री मायावती जी के सामने हाथ जोड़कर खड़े हैं। इसके बावजूद बसपा अध्यक्ष अखिलेश को गंभीरता से नहीं ले रही है। खुद वह अपने बयान में अखिलेश को राजनीतिक रूप से अपरिपक्व कह चुकी है।

भाजपा सरकार के जनहित के कार्यो को जनता के बीच जिस तरह समर्थन मिल रहा है, उससे विपक्षी दल अपने को हताश महसूस कर रहे हैं। इसी हताशा के चलते महज राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिएयादव अनाप-शनाप बयान जारी कर रहे है।


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