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अखिलेश ने जिन हाथियों का मजाक उड़ाया, उन्हीं को चमका रहे उनके अफसर

उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव भीमराव अंबेडकर पार्क के जिन हाथियों का पांच साल तक मजाक बनाते रहे, उन्‍हीं की सरकार के अफसर अब हाथियों की साफ सफाई अौर पार्क चमकाने में जुट गए हैं।

अखिलेश ने जिन हाथियों का मजाक उड़ाया, उन्हीं को चमका रहे उनके अफसर
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रतिभान त्रिपाठी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव भीमराव अंबेडकर पार्क के जिन हाथियों का पांच साल तक मजाक बनाते रहे, उन्‍हीं की सरकार के अफसर अब हाथियों की साफ सफाई अौर पार्क चमकाने में जुट गए हैं। यह काम तब शुरू किया गया है जब प्रदेश में दो चरणों के चुनाव का मतदान होना बाकी है। ऐसे में इस बात की कयासबाजी शुरू हो गई कि क्‍या अफसरों को बसपा के सत्‍ता में आने की आहट मिल रही है?

अखिलेश यादव अपने अधिकांश भाषणों में बसपा और मायावती की आलोचना करते हैं। इस दौरान वह ये कहना नहीं भूलते कि बुआ जी ने जो हाथी लगवाए हैं, वो वैसे के वैसे हैं। जो खड़ा था, खड़ा है। जो बैठा था, बैठा है। बसपा का मखौल उड़ाने वाली उनकी यह बात जगजाहिर है। इतना ही नहीं, अंबेडकर पार्क समेत मायावती सरकार में बनाए गए अधिकांश स्‍मारकों के कर्मचारी भी पिछले पांच साल तक परेशानी में ही रहे हैं।

बहुतों को पार्कों और स्‍मारकों से हटाकर दूसरी जगह काम पर लगा दिया गया था। इनके वेतन की परेशानी खड़ी हो चुकी है। और तो और, इन पार्कों और स्‍मारकों की साफ-सफाई और मरम्‍मत पर भी मौजूदा सरकार ने कोई ध्‍यान नहीं दिया। एक जगह लखनऊ मेट्रो का दफ्तर बना दिया तो एक जगह वीमेन पावर लाइन का दफ्तर खोल दिया। मायावती की ओर से बनवाए गए चौराहे की पहचान मिटाने की नीयत से उसका नामकरण 1090 चौराहा या वीमेन पावर लाइन चौराहा कर दिया गया। यानी मौजूदा सरकार ने बड़ी बारीकी से बसपा और मायावती से दुश्‍मनी निकाली।
अब जब चुनाव चल रहा है। और वह भी आखिरी दौर में है तो अखिलेश सरकार के ही अफसर अंबेडकर पार्क के हाथियों और मायावती व कांशीराम की मूर्तियां चमकाने में जुट गए। यह रहस्‍यमय है कि इस मौके पर यह सब क्‍याें किया जा रहा है। जबकि पिछली बार के चुनाव में चुनाव आयोग से नीली पीली बरसाती से हाथियों को ढकवा दिया था क्‍योंकि यह स्‍मारक या शोभा के रूप में नहीं, बसपा के चुनाव निशान के तौर पर देखे गए थे। और जब अभी चुनाव खत्‍म नहीं हुआ तो अफसरों को ऐसी क्‍या जल्‍दी पड़ गई कि चुनाव खत्‍म होने का इंतजार नहीं किया और हाथियों व मायावती कांशीराम की मूर्तियों की साफ सफाई शुूरू करा दी। यह सवाल मुंह बाए खड़ा है। स्मारकों का खयाल उन्हें अचानक आ गया।

यह बात किसी को हजम नहीं हो रही। बात साफ सफाई तक ही सीमित नहीं है। यहां पानी के लिए एक करोड़ की प्लम्बरिंग का सामान आ चुका है। गेट और प्लंबरिंग का काम स्मारक समिति की ओर से कराया जा रहा है। इन सभी कामों को 11 मार्च से पहले पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कुछ अफसर यह काम जल्‍द से जल्‍द पूरा करने के लिए दबाव बनाए हुए हैं।

हालांकि संबंधित अधिकारी इस काम पर सफाई देते हैं कि ये रूटीन का कार्य है। बजट जारी करने में देरी हुई थी, जिसकी वजह से काम देरी से शुरू हो सका है। इस काम के लिए एक स्‍मारक समिति है जिसमें प्रमुख सचिव आवास सदाकांत, उपाध्‍यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण सत्‍येंद्र सिंह और सचिव विकास प्राधिकरण इसके पदेन सदस्‍य हैं। यह काम समिति की अोर से ही कराया जा रहा है। सियासी गलियारों में दखल रखने वाले कहते हैं कि अफसर बहुत होशियारी दिखाते हैं। हो सकता है कि उन्‍हें लग रहा हो कि बसपा पावर में आ सकती है। इसलिए पहले से ही आगे की तैयारी में जुट गए हों।


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