Top
Begin typing your search above and press return to search.

जानें कैसे बच्चों की नींद और बचपन छीन रहा शॉर्ट वीडियो और रील्स

शॉर्ट वीडियो देखते हुए वक्त गुजारने वाले बच्चों के पास इतना समय नहीं बचता कि वह परिवार के सदस्यों या दोस्तों से बातचीत करें, जो बचपन की एक सहज प्रक्रिया है।

जानें कैसे बच्चों की नींद और बचपन छीन रहा शॉर्ट वीडियो और रील्स
X

लंदन: ट्रेन का सफर हो या मेट्रो का कोच। हर जगह आपको स्मार्टफोन पर शॉर्ट वीडियो या रील्स (Short videos ) देखते हुए लोग मिल जाएंगे। इसकी लोकप्रियता इस हद तक बढ़ गई है कि बड़े हों, बच्चे हों या बुजुर्ग कोई भी इसके ग्लैमर से अछूता नहीं है। शॉर्ट वीडियो और रील्स तो बच्चों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। स्कूल में भी वह इसी के बारे में बात करते हैं। पहले लोग कुछ मिनटों के लिए ही शॉर्ट वीडियो देखते थे लेकिन अब ये वीडियो तय कर रहे हैं कि बच्चे और युवा कैसे आराम करेंगे, केसे बातचीत करेंगे और अपनी राय कैसे बनाएंगे। टिकटॉक, इंस्टाग्राम रील्स, डौयिन और यूट्यूब शॉर्ट 18 वर्ष से कम आयु के करोड़ों यूजर्स को अंतहीन फीड से अपने मोहपाश में बांध रहे हैं।

जीवंत और अंतरंग कंटेंट से लुभाते हैं एप

ये एप यूजर्स को जीवंत और अंतरंग कंटेंट मुहैया कराते हैं। इसके जरिये यूजर्स एक क्लिक पर हंसाने वाले, ट्रेंड से जुड़े वीडियो एक्सेस कर सकते हैं। ये वीडियो जानबूझ कर इतने दिलचस्प बनाए जाते हैं कि कोई भी उनको घंटों तक तेजी से स्क्रॉल करते हुए देखता रहे। आपको बस स्क्रॉल करना है और शॉर्ट वीडियो का अंतहीन सिलसिला चलता रहता है। बड़े लोग भले ही इसे मैनेज कर सकते हैं लेकिन बच्चों के लिए ऐसा करना मुश्किल होता है।

कम नींद और मानसिक विकास पर असर

इस तरह के वीडियो बच्चों को ध्यान में रख कर नहीं बनाए गए, लेकिन बड़ी संख्या में बच्चे रोज और अक्सर अकेले ऐसे वीडियो देखते हैं। ये प्लेटफार्म चीजों को पहचानने और दिलचस्पी जगाने में कुछ बच्चों की मदद करते हैं। वहीं बहुत से बच्चों के लिए कंटेंट का प्रवाह उनकी नींद को बाधित करता है। कई बार ऐसे कंटेंट भी उनकी नजर से गुजरते हैं, जो उनको नहीं देखने चाहिए,जो उनके लिए नुकसानदायक है ।


शॉर्ट वीडियो देखते हुए काफी वक्त गुजारने वाले बच्चों के पास इतना समय नहीं बचता है कि वह परिवार के सदस्यों या अपने दोस्तों से बातचीत करें, जो बचपन की एक सहज प्रक्रिया है। उनके मानसिक विकास के लिहाज से यह प्रक्रिया काफी अहम है। इस तरह के वीडियो देखने में समस्या समय से ज्यादा पैटर्न को लेकर है। वीडियो इस तरह के होते हैं कि बच्चे लगातार स्क्राल करते रहते हैं, उनके लिए इसे रोकना मुश्किल हो जाता है। इस तरह का पैटर्न लंबी अवधि में उनकी नींद, मूड और किसी चीज पर फोकस करने की क्षमता, पढ़ाई और रिश्तों पर असर डालता है।

नयेपन की भूख शांत करते हैं शॉर्ट वीडियो

शॉर्ट वीडियो आम तौर पर 15 सेकेंड से 90 सेकेंड तक के होते हैं। इनको इस तरह से बनाया गया है कि यह लोगों की नई चीजों की भूख को शांत करते हैं। हर स्वाइप पर आपको कुछ अलग तरह का कंटेंट दिखता है। चाहे वह जोक हो, मजाक हो या स्तब्ध करने वाला। शॉर्ट वीडियो का फीड शायद ही कभी बंद होता है। ऐसे में लोग घंटों तक इसमें लगे रहते हैं। 2023 में 71 अध्ययनों और करीब एक लाख प्रतिभागियों के विश्लेषण में बहुत ज्यादा शॉर्ट वीडियो देखने और किसी चीज पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता के साथ आंतरिक नियंत्रण कमजोर होने बीच एक जुड़ाव पाया गया।

बच्चों के लिए जोखिम अधिक

ज्यादातर अध्ययर्नों में किशोरों पर फोकस किया गया है, लेकिन 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे उतने परिपक्व नहीं होते हैं कि वह खुद को आसानी से रोक सकें। वह नई चीजों को उसनी आसानी से पहचान कर यह तय भी नहीं कर पाते हैं कि इस तरह का कंटेंट उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। बच्चे तेजी से आ रहे कंटेंट के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it