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13.8 करोड़ रुपये के खरीद घोटाले में एम्स का स्टोरकीपर, स्टाफ गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने एम्स में काम करने वाले दो लोगों- एक स्टोरकीपर और एक संविदा कर्मचारी को 13.80 करोड़ रु सरकारी धन के गबन के आरोप में गिरफ्तार किया है

13.8 करोड़ रुपये के खरीद घोटाले में एम्स का स्टोरकीपर, स्टाफ गिरफ्तार
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नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में काम करने वाले दो लोगों- एक स्टोरकीपर और एक संविदा कर्मचारी को 13.80 करोड़ रु सरकारी धन के गबन के आरोप में गिरफ्तार किया है। गुरुवार को एक अधिकारी के अनुसार, राजेंद्र प्रसाद आई सेंटर, एम्स, दिल्ली के चिकित्सा अधीक्षक डॉ अनूप डागा ने 5 करोड़ रुपये (जांच के दौरान 13.85 करोड़ रुपये तक) के सरकारी धन के गबन के संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी। सामानों की आपूर्ति वास्तव में कभी नहीं की गई थी, लेकिन आपूर्तिकर्ता फर्म स्नेह एंटरप्राइजेज को भुगतान जारी कर दिया था।

प्रारंभिक जांच के बाद ईओडब्ल्यू थाने में आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471 और 120-बी के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई। पुलिस ने कहा कि ई-वे बिल की जांच से पता चला है कि एम्स को उन सामानों की डिलीवरी के लिए इस्तेमाल किए गए वाहनों को कभी भी ई-वे बिल पर लिखे गये किसी भी तारीख पर एम्स दिल्ली में भेजा नहीं गया था।

ई-वे बिल पर दिखाई देने वाले वाहनों के जीपीएस लॉग की जांच से पता चला कि उनका स्थान दिल्ली से बाहर है। पुलिस ने कहा, "पहले आरोपी की पहचान बिजेंद्र कुमार के रूप में हुई, जो एम्स में एक स्टोरकीपर था। उसने जाली खरीद, आपूर्ति आदेश, निरीक्षण नोट तैयार किया और स्नेह एंटरप्राइजेज के पक्ष में भुगतान जारी किया।"

दूसरा आरोपी नवीन कुमार संविदा कर्मचारी था और एम्स के पूर्व प्रमुख डॉ राजेंद्र प्रसाद नेत्र केंद्र डॉ अतुल कुमार के कार्यालय में कार्यक्रम सहायक के पद पर तैनात था। सामान के लिए मांगपत्र नवीन कुमार की आधिकारिक आईडी के माध्यम से जारी किए गए थे और उसके द्वारा सत्यापित भी किया गया था। इस तरह की आपूर्ति के उद्देश्य से एम्स में रखे गए सभी मैनुअल और डिजिटल रिकॉर्ड से आरोपी फर्म की मिलीभगत से आरोपी के आपराधिक कृत्यों का पता चला।

जांच के दौरान पता चला कि आरोपी बिजेंदर और नवीन दोनों ने आरोपी फर्म की मिलीभगत से जाली सप्लाई ऑर्डर जारी किए थे। पुलिस ने कहा, "आरोपी बिजेंदर ने बिल पेश किए थे और खुद ही स्वीकृत करवाए थे। फर्जी डिलीवरी के इन बिलों को मंजूरी मिलने के बाद ठगी की गई राशि को फर्म के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता था।"

बुधवार को दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने कहा, "गिरफ्तारी के बाद, आरोपियों को नामित अदालत में पेश किया गया। मामले की आगे की जांच जारी है।"


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