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एम्स के रेजीडेंट डॉक्ट सातवें वेतन आयोग की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर

एम्स के दो हजार से ज्यादा रेजीडेंट डॉक्टर गुरुवार को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं।

एम्स के रेजीडेंट डॉक्ट सातवें वेतन आयोग की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर
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नई दिल्ली। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) के दो हजार से ज्यादा रेजीडेंट डॉक्टर गुरुवार को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं।

विरोध प्रदर्शन के एक अनूठे कदम के तहत चिकित्सक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहेंगे क्योंकि उनका कहना है कि वे मरीजों को परेशान नहीं करना चाहते हैं।

यह सभी चिकित्सक रोजाना संस्थान के गेट नंबर 1 और 2 पर एक घंटा प्र्दशन करेंगे और सिफारिशों को लागू करने का दबाव डालेंगे। इस दौरान वह बिना भोजन खाए कार्य करना जारी रखेंगे।

एम्स की रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी . नड्डा से इस मामले को लेकर अपील की है। हालांकि, उन्हें अभी तक सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

आरडीए के अध्यक्ष हरजीत सिंह भट्टी ने आईएएनएस को बताया, "हम इस बार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू कराए बिना हड़ताल को वापस नहीं लेंगे।"

भट्टी ने कहा, "बतौर जिम्मेदार नागरिक और चिकित्सक, हम मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं को बाधित नहीं करेंगे। हम बिना खाना खाए काम करना जारी रखेंगे।"

एसोसिएशन ने दावा किया कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को सफदरजंग और राम मनोहर लोहिया अस्पताल समेत सभी सरकारी अस्पतालों में लागू कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, "सिर्फ एम्स में ही सिफारिशें लागू नहीं की गई है जो अत्याधिक भेदभाव को दर्शाता है।"आरडीए ने अस्पताल प्रशासन से भी इस मामले को लेकर गुहार लगाई है लेकिन प्रशासन का कहना है कि उन्हें अभी तक स्वास्थ्य मंत्रालय से इसकी मंजूरी नहीं मिली है।

भट्टी ने कहा कि एम्स के रेजीडेंट डॉक्टर को एक सप्ताह में अनिवार्य 48 घंटे से ज्यादा काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्हें 'नौकरशाही बाधाओं' के कारण उचित मेहनताना भी नहीं मिल रहा है।


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