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वनडे सीरीज के लिए एडेन मार्कराम को कप्तान चुनना सही फैसला नहीं था: ग्रीम स्मिथ

 दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ ने सोमवार को कहा कि भारत के साथ हुए वनडे सीरीज के लिए एडेन मार्कराम को कप्तान चुनना सही फैसला नहीं था

वनडे सीरीज के लिए एडेन मार्कराम को कप्तान चुनना सही फैसला नहीं था: ग्रीम स्मिथ
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जोहांसबर्ग। दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ ने सोमवार को कहा कि भारत के साथ हुए वनडे सीरीज के लिए एडेन मार्कराम को कप्तान चुनना सही फैसला नहीं था।

स्मिथ के मुताबिक मार्कराम को एक खिलाड़ी के तौर पर विकसित होने के लिए समय दिया जाना चाहिए था जबकि उन्हें सीधे कप्तान बना दिया गया। छह मैचों की वनडे सीरीज में भारत ने मेजबान टीम को 5-1 से हराया। स्मिथ ने कहा कि खिलाड़ियों के चोटिल होने से परेशान दक्षिण अफ्रीकी टीम को मार्कराम के कप्तान बनाए जाने से आत्मबल नहीं मिला और यही कारण है कि टीम वनडे सीरीज में अच्छा नहीं खेल सकी।

स्मिथ को खुद 22 साल की उम्र में कप्तानी मिल गई थी। मार्कराम 23 साल के हैं और दो मैच खेलने के बाद ही उन्हें टीम को सम्भालने की जिम्मेदारी मिल गई। स्मिथ को 2003 विश्व कप में टीम के खराब प्रदर्शन के बाद एकाएक कप्तान बना दिया गया था लेकिन स्मिथ ने न सिर्फ एक खिलाड़ी के तौर पर खुद को साबित किया बल्कि दक्षिण अफ्रीका के सबसे सफल कप्तान बनकर उभरे।

दूसरी ओर, मार्कराम ने कप्तान के तौर पर छह मैचों की सीरीज में 21 के औसत से कुल 127 रन बनाए। 32 उनका सबसे बड़ा योग था। स्मिथ ने मार्कराम को कप्तान चुने जाने के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, "मार्कराम को कप्तान चुने जाने का फैसला सही नहीं था। उन्हें अचानक इस जिम्मेदारी के आगे नहीं धकेलना चाहिए था। उन्हें एक खिलाड़ी के तौर पर विकसित होने का मौका मिलना चाहिए था और जब वह एक शक्तिशाली खिलाड़ी बन जाते तब, यह जिम्मेदारी उन्हें दी जा सकती थी।"

स्मिथ के मुताबिक कप्तान के तौर पर अब्राहम डिविलियर्स, हाशिम अमला और ज्यां पॉल ड्यूमिनी का चयन सही होता क्योंकि इससे मार्कराम जैसे होनहार खिलाड़ी को पैर जमाने का मौका मिल जाता। स्मिथ ने कहा, "लोग मेरी बात करते हैं। मुझे को काफी कम उम्र में यह जिम्मेदारी मिली थी। मैंने शुरुआत में सोचा था कि यह अल्पकालिक है लेकिन यह पूर्णकालिक बन गया। मैंने इसके बावजूद दबाव नहीं लिया और खुद को साबित किया। मार्कराम के साथ उलटा हुआ। एक अहम सीरीज में अचानक कप्तान बनाए जाने पर न तो उनका खुद का खेल सुधरा और न ही वह टीम को प्रेरित कर पाए। इससे उनका आत्मबल गिरा है।"


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