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कावेरी मुद्दे पर अन्नाद्रमुक ने दो अप्रैल को भूख हड़ताल की घोषणा की

सीएमबी ने बनाए जाने से गुस्साई तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक ने दो अप्रैल को भूख हड़ताल आयोजित करने की घोषणा की

कावेरी मुद्दे पर अन्नाद्रमुक ने दो अप्रैल को भूख हड़ताल की घोषणा की
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मदुरै/चेन्नई। कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड (सीएमबी) ने बनाए जाने से गुस्साई तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक ने दो अप्रैल को भूख हड़ताल आयोजित करने की घोषणा की और राज्य के मुख्यमंत्री के. पलनीस्वामी ने संकेत दिए कि वह केंद्र के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर कर सकते हैं। सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना याचिका शनिवार को दायर की जा सकती है।

विपक्षी पार्टी द्रमुक ने मांग की है कि मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल की बैठक बुलाएं और कावेरी मुद्दे पर केंद्र सरकार एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित करें।

द्रमुक के नेता एम. के. स्टालिन ने पार्टी की कार्यकारी परिषद की एक बैठक के बाद कहा कि राज्य सरकार को छह सप्ताह के भीतर सीएमबी की स्थापना न करने के लिए मोदी सरकार के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में आदलत की अवमानना की याचिका दायर करनी चाहिए। सीएमबी की स्थापना करने की समय सीमा गुरुवार को समाप्त हो गई थी।

सीएमबी की स्थापना करने में विफल रहने के कारण तमिलनाडु की पार्टियां केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने की योजना बना रही हैं, जिसमें काले झंडे लहराना भी शामिल है।

अन्नाद्रमुक के समन्वयक एवं उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने यहां से 500 किलोमीटर दूर मदुरै में एक विवाह समारोह के दौरान कहा कि अन्नाद्रमुक दो अप्रैल को सभी जिला मुख्यालयों पर एक दिन की भूख हड़ताल आयोजित कर सकती है।

उन्होंने कहा कि दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता की सरकार तमिलनाडु के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए हर कदम उठाएगी।

अपने भाषण में मुख्यमंत्री के. पलनीस्वामी ने कहा कि अन्नाद्रमुक ने 17 दिनों तक लोकसभा की कार्यवाही को बाधिक करते हुए संसद में एक 'इतिहास' रचा है। उन्होंने कहा, "राज्य की एक मांग को लेकर इस प्रकार का हंगामा लोकसभा के इतिहास में कभी नहीं हुआ।"

पलनीस्वामी ने कहा, "सीएमबी के गठन के मुद्दे पर केंद्र सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लागू करने में विफल रहा है। हम चाहते हैं कि केंद्र इसे लागू करे। हम इसके लिए कानूनी कदम उठाएंगे।"

तमिलनाडु के मत्स्यपालन मंत्री डी. जयकुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा कि राज्य सरकार अपने अधिकारों के लिए लड़ेगी और मोदी सरकार के साथ उनके संबंध इसलिए 'मैत्रीपूर्ण' हैं, ताकि विभिन्न विकास परियोजनाओं को मंजूरी मिल सके।

स्टालिन ने कहा कि जब केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री और केंद्रीय जल संसाधन सचिव ने सीएमबी के गठन पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ बात की तभी राज्य सरकार को अवमानना की याचिका के साथ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि पार्टी प्रधानमंत्री मोदी को काले झंडे दिखाएगी, जिनके 15 अप्रैल को तमिलनाडु के दौरे पर आने की सम्भावना है। उन्होंने यह भी कहा कि द्रमुक इस मुद्दे पर एकमत रखने वाली पार्टियों के साथ बैठकर निर्णय लेगी कि किस प्रकार का विरोध प्रदर्शन किया जाए।

द्रमुक की कार्यकारी परिषद की बैठक में केंद्र और राज्य सरकार की निंदा की गई।

पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के संस्थापक एस. रामदास ने केंद्र पर तमिलनाडु के हितों को 'धोखा' देने का आरोप लगाया है और कहा कि राज्य की जनता इस मुद्दे पर राज्य सरकार पर भरोसा नहीं कर सकती।

एस. रामदास और पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबुमणि रामदास के नेतृत्व में पीएमके के कार्यकर्ताओं ने अपने घरों पर काले झंडे फहराए।

तमिलनाडु की पार्टियों का आरोप है कि मोदी सरकार ने इसलिए सीएमबी की स्थापना नहीं की, क्योंकि वह पड़ोसी राज्य कर्नाटक में मतदाताओं को विमुख नहीं करना चाहती है, जो सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरोध में हैं।


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