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सबूतों व दस्तावेज को दर्ज करने में होगा एआई का इस्तेमाल, पेपरलेस होगी कोर्ट की व्यवस्था : शशांक शेखर झा

सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता शशांक शेखर झा ने बताया कि अदालतों में सबूतों और दस्तावेजों को दर्ज करने के लिए एआई का इस्तेमाल होगा, इससे कोर्ट की पूरी व्यवस्था को पेपरलेस बनाने में मदद मिलेगी

सबूतों व दस्तावेज को दर्ज करने में होगा एआई का इस्तेमाल, पेपरलेस होगी कोर्ट की व्यवस्था : शशांक शेखर झा
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नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता शशांक शेखर झा ने बताया कि अदालतों में सबूतों और दस्तावेजों को दर्ज करने के लिए एआई का इस्तेमाल होगा, इससे कोर्ट की पूरी व्यवस्था को पेपरलेस बनाने में मदद मिलेगी।

सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता शशांक शेखर झा ने बताया, "अगर तकनीक की सहायता से इस देश की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाया जा सके तो ये बहुत ही बड़ी बात होगी। यह 140 करोड़ के लोगों का देश है, यहां पर पांच करोड़ से ज्यादा याचिकाएं लंबित हैं। अगर एक केस में दो पार्टी और परिवार के पांच लोग भी शामिल हैं, तो सीधे 50 करोड़ लोग इससे सीधे जुड़े हुए हैं। ये आंकड़ा देश की एक तिहाई जनता का है, जो बहुत बड़ी बात है। "

कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ साहब ने कहा था कि एआई में चुनौती और सहायता दोनों है। हम पुरानी मानसिकता के साथ नहीं चल सकते, हमें आगे बढ़ना पड़ेगा। ट्रायल कोर्ट का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जजों पर इतना बोझ होता है कि कई बार जो सबूत रिकॉर्ड होते हैं और जो बातें होती हैं, वो लिखित दर्ज नहीं होती।

शशांक ने बताया, दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में पायलट प्रोजेक्ट शुरू होने वाला है, वहां पर जो भी बात गवाही के समय में कही जाएगी। वो लिखकर आएगी। दरअसल, गवाही के आधार पर ही पूरा केस जुड़ा होता है। 2024 में हम एआई का मदद ले सकते हैं, तो इसमें क्या बुराई है।

उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की पीठ के सामने हमने पहले ही पायलट प्रोजेक्ट की तरह काम करके देख लिया है। दरअसल, सेम सेक्स मैरिज केस की सुनवाई दौरान केस का एक-एक वक्तव्य, जो दोनों पक्षों के वकील और जज साहब कह रहे थे, वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से लिखित में आ रहा था। तो ऐसी व्यवस्था से अगर देश को फायदा मिलता है, तो इसको सभी जगह लाना चाहिए।


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