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‘अज्ञेय’ ने मुझसे कहा था कि गिरधर राठी की कविताएं जरूर पढ़ें: कुमार प्रशांत

दामाद कुमार प्रशांत ने कहा है कि हिंदी के युग प्रवर्तक लेखक सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन’ उर्ऊ अज्ञेय ने उनसे गिरधर राठी की कविताएं पढ़ने के लिए कहा था

‘अज्ञेय’ ने मुझसे कहा था कि गिरधर राठी की कविताएं जरूर पढ़ें: कुमार प्रशांत
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नयी दिल्ली । गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष एवं लोकनायक जयप्रकाश नारायण के दामाद कुमार प्रशांत ने कहा है कि हिंदी के युग प्रवर्तक लेखक सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन’ उर्ऊ अज्ञेय ने उनसे गिरधर राठी की कविताएं पढ़ने के लिए कहा था।

प्रशान्त ने रविवार शाम हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक आलोचक कवि गिरधर राठी की नौ किताबों के लोकार्पण समारोह में कही। प्रसिद्ध गांधीवादी एवं धर्मयुग में पत्रकार रहे प्रशांत ने कहा , “अज्ञेय’ने ‘नया प्रतीक’ में मेरी कुछ कविताएं प्रकाशित की थी और तब उन्होंने मुझे पत्र लिखकर कहा था कि आप गिरधर राठी की कविताएं जरूर पढ़िए। उनसे आपको सीखने का मौका मिलेगा । राठी जी को मैं उनकी रचनाओं से पहले जानता था। वे हिंदी के अत्यंत बौद्धिक लेखकों में से हैं । यह पहला मौका होगा जब किसी लेखक की नौ किताबों का एक साथ लोकार्पण हो रहा है। ” आपातकाल में जेल जाने वाले लेखक श्री राठी सत्तर के दशक के चर्चित पत्रकार रहे हैं और उन्होंने प्रख्यात समाजवादी नेता जार्ज फर्नांडिस के साथ ‘प्रतिपक्ष’ पत्रिका का संपादन भी किया था। उन्होंने हंगरी से पत्रकारिता में डिग्री लेने के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार ‘जनयुग’ से अपना करियर शुरू किया लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी से मतभेद के कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। समारोह की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध लेखक एवं संस्कृति कर्मी अशोक वाजपेयी ने की।

साहित्य अकादमी की पत्रिका समकालीन भारतीय के संपादक रहे श्री राठी ने आपातकाल में अपने जेल जीवन का जिक्र करते हुए कहा कि आज देश मे एक दूसरे तरह का आपातकाल लगा हुआ है और चारो तरफ बहुत निराशाजनक माहौल है पर नाउम्मीदी में भी उम्मीद की एक किरण दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि उन्हें यह भ्रम कभी नही रह कि साहित्य से कोई क्रांति होती है और समाज बदलता है । यहां तक कि वह 50 साल लिखकर खुद को नही बदल पाये।

राठी एमनेस्टी इंटरनेशनल के सचिव भी रह चुके है। साहित्य अकेडमी पुरस्कार प्राप्त कवि एवं ‘प्रतिपक्ष‘ में श्री राठी के सहयोगी रहे मंगलेश डबराल ने कहा कि राठी जी केवल कवि आलोचक ही नही बल्कि अच्छे अनुवाद कभी रहे और उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में काफी अनुवाद कार्य भी किये। उनकी कविताओं पर शमशेर और विजयदेव नारायण साही का असर रहा है।

वाजपयी ने कहा,“ राठी एक गम्भीर और ईमानदार लेखक हैं और उन्होंने महत्वपूर्ण आलोचनाएं लिखी है। रज़ा फाउंडेशन से हमने ऐसे लेखकों की किताबें छापने का फैसला किया जिसने हिंदी में गंभीर विमर्श खड़ा किया है और अब तक 150 किताबें छाप चुके हैं।”

समारोह में प्रसिद्ध लेखक कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल का श्री राठी पर लेख भी पढ़ा गया और आजकल के संपादक राकेश रेणु तथा मदन कश्यप ने भी विचार व्यक्त किये। समारोह में सर्व श्री योगेंद्र यादव मंजू मोहन गंगा प्रसाद विमल सौमित्र मोहन देवेंद्र राज अंकुर भी मौजूद थे।


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