Top
Begin typing your search above and press return to search.

मप्र का मुख्यमंत्री बनने पर लागू नहीं होंगे कृषि कानून : कमल नाथ

केंद्र और मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार इस कानून के जरिए पूंजीपति और कॉरपोरेट क्षेत्र को लाभ पहुंचाना चाहते हैं।

मप्र का मुख्यमंत्री बनने पर लागू नहीं होंगे कृषि कानून : कमल नाथ
X

भोपाल | मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों को किसान विरोधी करार देते हुए वादा किया है कि, "उप-चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनते ही इन कानूनों को राज्य में लागू नहीं करने का फैसला लूंगा।"

पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने गुरुवार को कहा कि, "केंद्र और मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार इस कानून के जरिए पूंजीपति और कॉरपोरेट क्षेत्र को लाभ पहुंचाना चाहते हैं। इसलिए बिना किसानों के भविष्य की सोचे ताबड़तोड़ तरीके से प्रदेश में इस कानून को लागू कर दिया गया। किसानों के खिलाफ अमीरों से मिलकर जो साजिशें रची जा रही हैं, उसका कांग्रेस पार्टी पुरजोर विरोध करेगी।"

संसद में कृषि कानून पारित करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कमल नाथ ने कहा कि, "संसद में जिस अलोकतांत्रिक ढंग से किसान विरोधी कानून पारित कराए गए हैं, वह भाजपा की मंशा को स्पष्ट करते हैं कि वह सीधे-सीधे इनके जरिए किसानों की कीमत पर बड़े घरानों को लाभ पहुंचाना चाहती है। ये तीनों कानून पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाले हैं।"

कमल नाथ ने कहा कि, "मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनते ही किसानों के हित में फैसला लूंगा और इन तीनों कानून को मध्यप्रदेश में लागू नहीं होने दूंगा। साथ ही मंडी टैक्स को न्यूनतम स्तर पर लाया जायेगा और मंडियों का दायरा भी बढ़ाया जायेगा।"

उन्होंने कहा कि, "केंद्र सरकार 23 प्रकार की फसलों का समर्थन मूल्य घोषित करती है। मगर सिर्फ धान और गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदती है और बहुत सीमित मात्रा में दाल और मोटा अनाज वो भी इसलिए क्योंकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में वितरित करना होता है और आपात स्थिति के लिए संग्रहित करना होता है। बांकी की फसलों के लिए किसान बाजार के भरोसे होता है।"

उन्होंने कहा कि, "हाल ही में खुद केंद्र सरकार के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की रबी 2020-21 की रिपोर्ट में यह आरोप सरकार पर लगाया गया है कि वो किसानों से दाल खरीद कर स्टॉक करती है और जब दाल की फसल आने वाली होती है, तो उसे खुले बाजार में बेंच देती है, जिससे किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।"

पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा है कि, "भाजपा दोहरी चाल चरित्र और चेहरे की पार्टी है। इसका ज्वलंत उदाहरण किसान विरोधी कानून हैं। किसानों की आय दोगुना करने का झूठ 15 साल तक शिवराज सिंह चौहान बोलते रहे। असलियत यह है कि आज हमारे किसानों की आय दोगुनी की बजाय आधी ही रह गयी है। केंद्र सरकार वर्ष 2015 में आयी शांताकुमार कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की ओर कदम बढ़ा रही है और देश में समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदने के खात्मे की बुनियाद रख रही है। भाजपा शुरू से ही किसान विरोधी रही है। वर्ष 2014 में केंद्र में सत्ता में आते ही सरकार ने किसानों के हक का भूमि का उचित मुआवजा कानून भी अध्यादेशों के माध्यम से बदलने की कोशिश की थी। मगर कांग्रेस ने किसानों के पक्ष में मुखरता से आवाज उठायी और केंद्र सरकार को उन अध्यादेशों को वापस लेने पर मजबूर किया।"

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि, "अन्नदाता किसान जो अथक परिश्रम कर अपना पेट काटकर देश के भोजन का प्रबंध करता है। उसे भाजपा षडयंत्र पूर्वक न केवल कमजोर करने बल्कि उसे कंगाल बनाने में तुली है। कांग्रेस ने तय किया है कि वह भाजपा सरकार की इन कोशिशों को न केवल बेनकाब करेगी, बल्कि उसके मनसूबों को सफल नहीं होने देगी।"


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it