कृषि विशेषज्ञ नेल जयरामन का निधन
कृषि विशेषज्ञ 'नेल' जयरामन ने परंपरागत धान की लुप्त 174 किस्मों के बीजों को फिर से विकसित किया और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को दिया

चेन्नई। कृषि विशेषज्ञ 'नेल' जयरामन का दो साल तक कैंसर से जूझने के बाद आज सुबह एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उन्होंने परंपरागत धान की लुप्त 174 किस्मों के बीजों को फिर से विकसित किया और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को दिया।
नेल का यहां स्थित अपोलो कैंसर स्पेशियलिटी अस्पताल में उपचार चल रहा था। बुधवार रात उनकी स्थिति बहुत ही गंभीर हो गई और आज तड़के 05:20 बजे उनका निधन हो गया।
वह तिरुवरूर जिले के कट्टिमेडु गांव के रहने वाले थे। वह जैविक खेती के विशेषज्ञ स्वर्गीय नम्मलवार के छात्र थे और उन्होंने पारंपरिक धान के बीजों को बचाने की दिशा में काम किया।
जयरामन के धान के संरक्षण में उनके प्रयासों के लिए, उनके सलाहकार और गुरु नम्मलवार ने उन्हें 'नेल' (धान) उपनाम दिया। उन्होंने लुप्त हुए पारंपरिक धान को फिर से विकसित करने के लिए 2004 में अपने गांव में उसकी खेती शुरू की और 2006 में तिरुवुरूर जिले के अपने अदिरंगम गांव में आयोजित पहले धान फेस्टिवल में बीज वितरित किए। बाद में इस फेस्टिवल को वार्षिक तौर पर मनाया जाने लगा। यह फेस्टिवल, किसानों और कृषिविदों की एक पहचान बन गया है।
जयरामन को जैविक खेती में उनके योगदान के लिए तमिलनाडु सरकार ने 2011 में सर्वश्रेष्ठ जैविक किसान सम्मान प्रदान किया और चार साल बाद उन्हें सर्वश्रेष्ठ जीनोम रक्षक के राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया। उन्होंने पारंपरिक धान के बीजों के संरक्षण पर कई पुस्तके भी लिखीं।


