कृषि सुधार कानूनों से निजी निवेश को बढावा : राधामोहन
कृषि सुधार सम्बन्धी कानूनों से इस क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव आएगा, खेती-किसानी में निजी निवेश होने से तेज विकास होगा तथा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे ।

नयी दिल्ली । पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष राधा मोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि कृषि सुधार सम्बन्धी कानूनों से इस क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव आएगा, खेती-किसानी में निजी निवेश होने से तेज विकास होगा तथा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे ।
श्री सिंह ने यहां जारी बयान में कहा कि कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ होगी। किसानों का “एक देश-एक बाजार” का सपना भी पूरा होगा। पहले हमारे किसानों का बाजार सिर्फ स्थानीय मंडी तक सीमित था, उनके खरीददार सीमित थे, बुनियादी ढ़ांचे की कमी थी और मूल्यों में पारदर्शिता नहीं थी। इस कारण किसानों को अधिक परिवहन लागत, लंबी कतारों, नीलामी में देरी और स्थानीय माफियाओं की मार झेलनी पड़ती थी। अब नये कानून से कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन आएगा । खेती-किसानी में निजी निवेश होने से तेज विकास होगा तथा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ होगी। किसानों का “एक देश-एक बाजार” का सपना भी पूरा होगा।
उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार वर्ष 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रीय किसान आयोग की स्थापना की गई। वर्ष 2006 में इस आयोग की सिफारिश में न केवल कृषि के उन्नयन के लिए सुझाव दिए गए थे बल्कि किसानों के परिवारों के आर्थिक हित के लिए भी सुझाव दिए गए थे।
उन्होंने कहा कि आयोग के अध्यक्ष डॉ. स्वामीनाथन ने वर्ष 2018 के अपने एक लेख में लिखा कि “यद्यपि एनसीएफ की रिपोर्ट वर्ष 2006 में प्रस्तुत की गई थी परंतु जब तक नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार नहीं बनी थी तब तक इस पर बहुत कम काम हुआ था। सौभाग्यवश पिछले चार वर्षों के दौरान किसानों की स्थिति और आय में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।”
श्री सिंह ने कहा कि अब तक कभी भी एक वर्ष में 75 हजार करोड़ रूपये केन्द्र सरकार के खजाने से निकलकर किसान की जेब तक नहीं पहुँचे । पीएम किसान योजना के माध्यम से आय सहायता की योजना प्रारंभ की गई। आज तक 92 हजार करोड़ रूपया सीधा किसान के खातों में भुगतान किया गया है। किसान समृद्ध हो, सम्पन्न हो, संगठित हो, उसे तकनीकी समर्थन मिल सके, इस दृष्टि से देश में दस हजार नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की घोषणा मोदी सरकार ने है। यह सिर्फ घोषणा नहीं है, इस पर काम प्रारंभ हो गया है और 6,850 करोड़ रूपये एफपीओ को देने के लिए और उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए खर्च किये जायेंगे।
पूर्व कृषि मंत्री ने कहा कि देश में दशकों तक संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार रही, लेकिन उन्होंने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू नहीं किया। मोदी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को सुधार करके लागू किया। मोदी सरकार ने किसानों के हितों की रक्षा करते हुए यूपीए सरकार की तुलना में न्यूनतम समर्थ मूल्य (एमएसपी) में लगातार वृद्धि की। मोदी सरकार ने एमएसपी को लागत का डेढ़ गुना करने का निर्णय किया, साथ ही खरीददारी भी बढ़ाई। कुछ राज्यों को छोड़कर किसानों को एमएसपी के दाम डी.बी.टी. के माध्यम से दिए जा रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि जिस राजनीतिक दल ने दशकों तक देश पर शासन किया उसने हमेशा किसान को अंधकार और गरीबी में रखा, उन्हें यह बदलाव अच्छा नहीं लगा। वे सड़क से संसद तक इसका विरोध कर रहे हैं। ये वही लोग हैं, जिनके शासन में किसानों की हालत बद से बदतर होती गई। भाजपा सरकार अपने पहले कार्यकाल से किसानों के हितों के लिए प्रतिबद्ध रही है। किसानों को लुभाने वाली घोषणाओं के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर कृषि क्षेत्र को समृद्ध और किसानों को सशक्त बनाने पर रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2009-10 में कृषि मंत्रालय का बजट 12 हजार करोड़ रूपए होता था और अब यह एक लाख 34 हजार करोड़ रूपये का हो गया है। किसानों को समर्पित मोदी सरकार ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच भी कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत कृषि अवसंरचना कोष के लिए एक लाख करोड़ रूपये का आवंटन किया है। इस पैकेज से किसानों को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी।


