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नयी तकनीकों के बदौलत कृषि लागत को कम किया जा सकता है: अवस्थी

इफको के प्रबंध निदेशक उदय शंकर अवस्थी ने आज कहा कि नयी नयी तकनीकों के बदौलत कृषि लागत को कम किया जा सकता है और सरकार इस दिशा में प्रयास कर रही है।

नयी तकनीकों के बदौलत कृषि लागत को कम किया जा सकता है: अवस्थी
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नयी दिल्ली। इंडियन फारमर्स फर्टिलाईजर ओपरेटिव लिमिटेड (इफको) के प्रबंध निदेशक उदय शंकर अवस्थी ने आज कहा कि नयी नयी तकनीकों के बदौलत कृषि लागत को कम किया जा सकता है और सरकार इस दिशा में प्रयास कर रही है।

अवस्थी ने यहां श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान समारोह के इतर संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सरकार कृषि लागत को कम करने के प्रयास कर रही है लेकिन इन्हें तेज करने की जरुरत है। नयी नयी तकनीकें किसानों के पास पहुंच रही है और उससे खाद्यान्नों , फलों एवं सब्जियों का उत्पादन भी बढ रहा है इसके बावजूद कई समस्याएं हैं जिनसे निपटने की जरुरत है।

उन्होंने कहा कि देश में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम कर जैविक खेती को बढावा देने के लिए परम्परागत कृषि योजना और प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को होने वाले नुकसान की भरपायी के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरु की गयी है और इसका लाभ किसानों को मिलने लगा है। उन्होंने कहा कि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिले इसके लिये कुछ और ठोस प्रयास करने की जरुरत है।

अवस्थी ने कहा कि किसानों और उपभोक्ताओं के बीच बिचौलियों की एक लम्बी श्रृखला है जो किसानों को उचित मूल्य मिलने में बाधक है। इस श्रृखला को समाप्त करने की जरुरत है। सरकार ने किसानों को मंडी में अपनी कीमत पर फसलों को बेचने के लिए ई -नाम योजना शुरु की है और किसान इसका इसका उपयोग भी करने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार कृषि के क्षेत्र में जो प्रयास कर रही है उसके अच्छे परिणाम अवश्य सामने आयेंगे1 एक सवाल पर उन्होंने कहा कि आलू का दाम बढने का कुछ लाभ किसानों को भी मिलता है लेकिन बिना सोचे ही लोग उसकी भारी आलोचना करते हैं जिससे सरकार पर भी दबाव आ जाता है। लेकिन जब आलू किसानों के खेत में सड़ जाता है तो उसकी चर्चा तक नहीं होती। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए उपाय करने की जरुरत है।

अवस्थी ने उत्पादन बढाने के लिए फसलों में रासायनिक उर्वरकों का अधिक मात्रा में उपयोग किये जाने के बारे में चर्चा किये जाने पर कहा कि लोग अब जैविक कृषि भी करने लगे हैं। रासायनिक उर्वरकों और जैविक खेती के बीच संतुलन कायम करने की जरुरत है और इस दिशा में कार्य किया जा रहा हैं।


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