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आगरा : मुंह मीठा करने वाला शहर, पूरी तरह पड़ा फीका

उत्तर प्रदेश के आगरा में कुछ चीजें वल्र्ड फेमस है जिसमें एक तो ताजमहल, दूसरा आगरा का पेठा। यही कारण है कि आगरा को ताजमहल के अलावा पेठा नगरी भी कहा जाता

आगरा : मुंह मीठा करने वाला शहर, पूरी तरह पड़ा फीका
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आगरा । उत्तर प्रदेश के आगरा में कुछ चीजें वल्र्ड फेमस है जिसमें एक तो ताजमहल, दूसरा आगरा का पेठा। यही कारण है कि आगरा को ताजमहल के अलावा पेठा नगरी भी कहा जाता है। देश दुनिया से जो लोग ताज का दीदार करने आते हैं वह आगरा के पेठे का स्वाद जरूर लेते हैं। लेकिन कोरोना महामारी चलते देश दुनिया को पेठा सप्लाई करने वाला बाजार आज पूरी तरह से बंद पड़ा है।

आगरा के नूरी दरवाजा स्थित पेठा मंडी को भारी मात्रा में इस व्यापार का नुकसान हुआ है। यहां तक कि इन दुकानों में जो माल रखा हुआ था वह भी अब पूरी तरह से सड़ चुका है, जिससे व्यापारियों को इसकी दोगुनी मार झेलनी पड़ रही है।

आगरा नूरी दरवाजा स्थित पेठा मंडी की एसोसिएशन 'शहीद भगत सिंह कुटीर उद्योग' के महामंत्री संजीव सिंघल ने आईएएनएस से कहा, "लॉकडाउन के बाद स्थिति बेहद गंभीर हो जायेगी इसके खुलने के बाद 30 प्रतिशत लोग सरवाइव ही नहीं कर पायेंगे, पूरी व्यापार की चेन टूट गई है। 50 प्रतिशत पेठा व्यापार पहले पॉल्युशन की वजह से यहां से पलायन कर गया था।"

उन्होंने कहा, "आगरा में पेठा से जुड़े 500 इंडस्ट्री है और इससे करीब 40 से 50 हजार व्यापारी, कारीगर और अन्य लोग जुड़े हुये है। कारीगर तो सभी गांव चले गये हैं। 90 प्रतिशत खुले पेठे का व्यापार करते है और 10 प्रतिशत ब्रांडेड पेठे का काम करते हैं। करीब 100 करोड़ का नुकसान इस पेठे से जुड़े व्यापार को हुआ है।"

उन्होंने बताया, "एसोसिएशन की तरफ से किसी तरह की कोई एडवाइजरी जारी नहीं की गई है। यहां मौजूद दुकानों से न रेंट मांगा गया है और न ही रेंट किसी दुकानदार ने दिया है। लॉकडाउन खुलने के बाद इस बारे में हम चर्चा करेंगे।"

आगरा में पेठे का व्यापार पीढ़ियों से चला आ रहा है। ऐसा कहा जाता है कि पेठा मुगल सम्राट शाहजहां की रसोई में जन्म लिया था। पहले जहां पेठा सिर्फ कुछ ही प्रकार का हुआ करता था वहीं अब 50 से ज्यादा वराइटी के पेठे आगरा में बनाये जाते हैं और दुनिया भर के लोग इसका लुत्फ उठाते हैं।

आगरा के नूरी गेट के रहने वाले लक्ष्मण सिंघल की पेठे की दुकान और कारखाना है। उन्होंने बताया, "पेठे की लाइफ बहुत कम होती है जैसे कि ड्राई पेठे की 10 से 12 दिन और अंगूरी पेठे की लाइफ 5 से 6 दिन। इसके बाद ये खराब हो जाता है। लॉकडाउन में जिसके पास भी पेठा रखा होगा वो पूरी तरह से खराब हो गया होगा।"

उन्होंने कहा, "मैं अपने कारखाने में उमड़ा फल ( जिससे पेठा बनता है) 40 किलो तक रखता हूं यानी कि बस एक दिन का स्टॉक, नूरी गेट पर करीब 50 कारखाने और 100 से ज्यादा दुकाने हैं जिस पर पेठा मिलता है।"

सिंघल ने कहा, "होल सेल में पेठा कोई खरीदता है तो उसे करीब 55 रुपये में पेठा मिलता है, वहीं जो दुकानें शहर में है या हाइवे पर है वो करीब 100 रुपये का पेठा बेचते हैं। नूरी गेट पर जो दुकाने हैं वो करीब 60 रुपये में पेठा बेचते है।"

उन्होंने बताया, "हर किसी की दुकान पर करीब 1 लाख से डेढ़ लाख तक का पेठा रखा था जो कि बर्बाद हो गया है। ज्यादा दिन न चलने की वजह से पेठा फिकवाना पड़ता है वरना बदबू आने लगती है। जितने भी रिटेल की दुकान है वहां पेठा नकद जाता है लेकिन होल सेल वाले पेठा उधार पर व्यापार करते हैं। अब सबका पैसा फंस गया। पेठे का व्यापार त्यौहार ओर शादियों के वक्त ज्यादा होता है।"



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