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एगमार्कनेट ने भी माना, किसानों को नहीं मिल रहा न्यूनतम समर्थन मूल्य : कांग्रेस

कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए दावा किया कि सरकारी एजेंसी एगमार्कनेट ने भी माना है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है

एगमार्कनेट ने भी माना, किसानों को नहीं मिल रहा न्यूनतम समर्थन मूल्य : कांग्रेस
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए दावा किया कि सरकारी एजेंसी एगमार्कनेट ने भी माना है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है। कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि सरकारी एजेंसी 'एगमार्कनेट' की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार किसानों को 'लागत से 50 प्रतिशत अधिक मुनाफा' देना तो दूर, देश के अन्नदाता को उसकी फसल की लागत भी नहीं सुनिश्चित करवा पा रही है।

सुरजेवाला ने कहा कि पिछले 25 दिनों में देश के किसानों को उसके फसलों से प्राप्त बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग द्वारा बताई गई विभिन्न प्रांतों में फसलों की लागत से बहुत कम है।

सुरजेवाला ने आरोप लगाया, "जब मोदी सरकार षड्यंत्र के तहत एमएसपी पर फसल खरीदी जानबूझकर कम कर रही है, तो एमएसपी निर्धारण से किसान को क्या फायदा मिलेगा? यदि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं करेगी, तो बाजार भाव गिर जाएगा और किसान के पास उसे लागत से कम पर बेचने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा। इस समय भी यही हो रहा है।"

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने साल 2020-21 में एमएसपी पर 389.93 लाख टन गेहूं खरीदा। मगर चालू साल में 30 अप्रैल, 2021 तक (साल 2021-22 में) एमएसपी पर खरीदे जाने वाले गेहूं की मात्रा कम कर 271 लाख टन कर दी। यानी चालू साल 2021-22 में पिछले साल 2020-21 के मुकाबले एमएसपी पर 118.93 लाख टन गेहूं कम खरीदा गया। इसी प्रकार 2019-20 में एमएसपी पर 519.97 लाख टन धान खरीदा गया। लेकिन 2020-21 में मोदी सरकार ने एमएसपी को कमजोर करने के लिए एमएसपी पर मात्र 481.41 लाख टन धन ही खरीदा, जो 38.56 लाख टन कम था।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी केंद्र से पूछना चाहती है कि यदि न्यूनतम समर्थन मूल्य देना ही नहीं है, तो यह सरकार घोषणा भी क्यों करती है?

सुरजेवाला ने सवाल किया, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण योजना का बजट क्यों काटा गया? मोदी सरकार ने इस साल के लिए इस स्कीम का बजट ही काट दिया। साल 2019-20 में पीएम आशा का बजट 1500 करोड़ था, जो साल 2020-21 में घटा करके सिर्फ 400 करोड़ कर दिया गया। यानी 73 प्रतिशत कम कर दिया गया। अब जब देशभर में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम मूल्य मिलने के आंकड़े स्वयं केंद्र सरकार ने अपने अधिकृत वेबसाइट पर स्वयं सार्वजनिक रुप से स्वीकार कर लिए हैं, तो केवल 400 करोड़ रुपये में देश के किसानों को भावांतर योजना में लाभ कैसे मिलेगा?

भारत सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम एनएसएस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2012-13 में हर किसान के ऊपर 47,000 रुपये का कर्ज था, जो 2018-19 में बढ़कर 74,121 रुपये हो गया। सिचुएशन एसेसमेंट सर्वे की इस रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि किसान की आय दोगुनी होने की बजाय खेती पर खर्च बढ़ते जा रहे हैं।


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