कांग्रेस एससी/एसटी अधिनियम को कमजोर करने के खिलाफ
कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि वह अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अधिनियम के किसी भी प्रावधान को कमजोर करने के खिलाफ है

नई दिल्ली। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि वह अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अधिनियम के किसी भी प्रावधान को कमजोर करने के खिलाफ है। कांग्रेस ने मोदी सरकार से सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर कानून में संशोधन या समीक्षा याचिका दायर करने को कहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अधिनियम के तहत किसी आरोपी की गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है।
अदालत के फैसले के एक दिन बाद कांग्रेस ने सरकार पर मामले में उचित तरीके से नहीं लड़ने का आरोप लगाया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत कार्रवाई का सहारा प्रारंभिक जांच व सक्षम अधिकारी की मंजूरी के बाद की जाएगी।
कांग्रेस नेताओं -अहमद पटेल, आनंद शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कुमारी शैलजा, राज बब्बर व रणदीप सिंह सुरजेवाला- ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में सरकार पर 'दलित विरोधी मानसिकता' और इस विषय पर 'चुप रहने' का आरोप लगाया।
सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अधिनियम के प्रावधानों को कमजोर करने पर चिंता जाहिर की है।
उन्होंने कहा, "अधिनियम को कमजोर करना कांग्रेस को स्वीकार्य नहीं है। सरकार को जानबूझकर की जा रही इस गलती को सुधारना चाहिए। इसके लिए संसद में एक संशोधन लाना चाहिए या संशोधन याचिका दाखिल करनी चाहिए। मोदी सरकार की दलितों के अधिकारों को कमजोर करने की साजिश कांग्रेस को स्वीकार्य नहीं है।"
कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी सरकार के तहत अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध बढ़े हैं और कमजोर तबकों की कल्याण योजनाओं में कटौती हुई है।
उन्होंने कहा, "मोदी सरकार के तहत दलितों के लिए तय नौकरियों में 91 फीसदी कमी आई है।"
सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि अत्याचार अधिनियम के तहत यदि प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है तो अग्रिम जमानत देने पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं है।


