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संघीय व्यवस्था के खिलाफ है 'एक देश, एक चुनाव' : माकपा

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आज 'वन नेशन, वन इलेक्शन' (एक देश, एक चुनाव) के प्रस्ताव का विरोध किया

संघीय व्यवस्था के खिलाफ है एक देश, एक चुनाव : माकपा
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नई दिल्ली। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आज 'वन नेशन, वन इलेक्शन' (एक देश, एक चुनाव) के प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने इसे 'मौलिक रूप से संघीय व्यवस्था-विरोधी, लोकतांत्रिक व्यवस्था विरोधी' बताया और इसे संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली की जड़ पर प्रहार करार दिया।

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने यहां सर्वदलीय बैठक में दिए एक नोट में कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए सरकार को विधायिका के प्रति जवाबदेही की संवैधानिक योजना के साथ छेड़छाड़ करनी पड़ेगी।

येचुरी ने कहा, "संसद और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराए जाने में शामिल तकनीकी मुद्दों के अलावा, हमारा विरोध इस तथ्य पर आधारित है कि यह मूल रूप से संघीय व्यवस्था विरोधी, लोकतांत्रिक व्यवस्था विरोधी है और संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली की जड़ पर हमला करता है।"

उन्होंने स्वीकार किया कि भारत द्वारा संविधान को अपनाने के बाद चुनाव वास्तव में एक साथ हुए थे।

उन्होंने कहा, "हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 356 के मनमाने दुरुपयोग के कारण राज्य विधानसभाओं के चुनाव आम चुनाव से अलग हो गए। यह प्रक्रिया 1959 में केरल में कम्युनिस्ट सरकार की बर्खास्तगी के साथ शुरू हुई थी।"

संविधान के तहत, यदि कोई सरकार अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान करके या तो विधायिका का विश्वास खो देती है, या धन विधेयक पर वोट खो देती है, तो वह इस्तीफा देने के लिए बाध्य होती है। यदि कोई वैकल्पिक सरकार नहीं बन सकती है, तो सदन भंग हो जाता है और मध्यावधि चुनाव होता है।

संविधान में न तो लोकसभा के लिए और न ही राज्य विधानसभाओं के लिए कार्यकाल की कोई निश्चितता तय है।

येचुरी ने कहा, "लोकसभा या विधायिका के जीवन को लंबा खींचने का कोई भी प्रयास न केवल असंवैधानिक होगा, बल्कि यह गैर-लोकतांत्रिक भी होगा। यह उनके चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से लोगों की इच्छा है, जो प्रबल होनी चाहिए।"


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