एजी ने सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानूनों का किया बचाव
अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से कृषि कानूनों को लागू किए जाने पर रोक लगाने के रुख का कड़ा विरोध जताया

नई दिल्ली। अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से कृषि कानूनों को लागू किए जाने पर रोक लगाने के रुख का कड़ा विरोध जताया। अटॉर्नी जनरल (एजी) ने कहा कि 2,000 से अधिक किसानों ने कानूनों के तहत अनुबंध में प्रवेश किया है और स्टे लगने से उन्हें भारी नुकसान होगा।
न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और वी. रामासुब्रमण्यन के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने एजी से कहा, "अगर कानूनों को होल्ड कर दिया जाएगा, तो बातचीत बेहतर ढंग से होगी।"
एजी ने दलील दी कि पिछले साल जून में अध्यादेश के माध्यम से कानून लागू हुए थे और तब से 2,000 से अधिक किसानों ने अपनी उपज बेचने के लिए इन कानूनों के तहत व्यापारियों के साथ अनुबंध किया है।
उन्होंने कहा, "अगर अदालत ने कार्यान्वयन पर रोक लगा दी, तो उन्हें भारी नुकसान होगा।"
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कानूनों पर रोक या स्टे लगाने से इन किसानों को काफी नुकसान होगा।
उन्होंने कृषि कानूनों की जांच के लिए एक समिति बनाने के शीर्ष अदालत के सुझाव के साथ कुछ मुद्दों का भी हवाला दिया। एजी ने कहा कि जब किसान इस प्रस्तावित समिति के समक्ष जाएंगे, तो क्या उनकी एकमात्र मांग यह होगी कि कानूनों को निरस्त किया जाए? यदि वे अपनी सटीक शिकायतें बताने के लिए तैयार नहीं हैं, तो फिर समिति उपयोगी नहीं होगी।
एजी ने कहा, "उन्हें समिति को विषय-दर-विषय अपनी शिकायतें बतानी होंगी, तब समिति एक-एक करके मुद्दों पर फैसला करेगी।"
इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अदालत किसानों के साथ इस समिति के वास्तविक उद्देश्य के साथ संवाद करने के लिए वरिष्ठ वकीलों - दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, कॉलिन गोंसाल्विस और एच.एस. फुल्का पर भरोसा कर रही है। उन्होंने कहा, "हम एक वैकल्पिक मंच नहीं बना रहे हैं।"
बता दें कि प्रधान न्यायाधीश बोबडे ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि अगर केंद्र कृषि कानून वापस नहीं लेता है तो यह अदालत इन कानूनों को लागू करने पर रोक लगा देगी।


