एजी ने बोफोर्स मामले में याचिका दायर नहीं करने की सलाह दी
सरकार के सबसे बड़े विधि अधिकारी एटर्नी जनरल (एजी) के. के. वेणुगोपाल ने बोफोर्स दलाली मामले में विशेष अनुमति याचिका दायर न करने की सलाह दी है।

नयी दिल्ली। सरकार के सबसे बड़े विधि अधिकारी एटर्नी जनरल (एजी) के. के. वेणुगोपाल ने बोफोर्स दलाली मामले में विशेष अनुमति याचिका दायर न करने की सलाह दी है, क्योंकि इसके निरस्त हो जाने की पूरी आशंका है।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को हाल ही में भेजे पत्र में वेणुगोपाल ने कहा कि सीबीआई को इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील अब नहीं करनी चाहिए, क्योंकि अपील दायर करने में देरी को आधार बनाकर इसके खारिज हो जाने की पर्याप्त आशंका है।
एटर्नी जनरल ने कहा है कि अपील दायर करने के बजाय सीबीआई को इसी से संबंधित एक लंबित मामले में अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए, क्योंकि जांच एजेंसी भी इसमें एक पक्षकार है।
उन्होंने कहा, “एक लंबित मुकदमे की पृष्ठभूमि में यह मामला पूरी तरह जीवित है और सीबीआई के पास अब भी अपना पक्ष मजबूती से रखने का अवसर मौजूद है।
सीबीआई को अपील दायर करने का जोखिम उठाने के बजाय लंबित मामले में ही अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए।
”
उनका इशारा पेशे से वकील एवं भारतीय जनता पार्टी नेता अजय अग्रवाल की याचिका की ओर है।
श्री अग्रवाल ने इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की हुई है।
विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि डीओपीटी ने अपील दायर करने की अनुमति संबंधी सीबीआई के अनुरोध पर एटर्नी जनरल से कानूनी मशविरा मांगा था, जिसके जवाब में श्री वेणुगोपाल ने कहा है, “अब 12 साल से अधिक समय बीत चुका है और मेरा मानना है कि इस वक्त अपील दायर करने पर उसके खारिज हो जाने की पर्याप्त आशंका है।
”
एटर्नी जनरल ने यह भी स्पष्ट किया कि दस्तावेजों के अध्ययन से ऐसा कोई कारण या विशेष परिस्थितियां नजर नहीं आई, जिसकी वजह से 90 दिन के भीतर या उसके बाद अपील दायर नहीं की जा सकी थी।
वेणुगोपाल ने लिखा है कि मौजूदा सरकार को भी सत्ता में आये तीन साल बीत चुके हैं अैर इसके कार्यकाल में भी अभी तक अपील दायर नहीं की जा सकी है, ऐसी स्थिति में न्यायालय के समक्ष एसएलपी में विलंब को न्यायोचित ठहराना मुश्किल काम होगा। परिणामस्वरूप अपील के ठुकराये जाने की आशंका अधिक है।


