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राजस्थान में मतदान के बाद सबकी निगाहें गहलोत के राजनीतिक भविष्य पर

राजस्थान के मतदाताओं ने शनिवार को अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसके बाद सड़कों पर फिर से सन्नाटा पसर गया है। बहरहाल, राजनीति और सत्ता के गलियारों में सीएम अशोक गहलोत की किस्मत को लेकर चर्चा हो रही है।

राजस्थान में मतदान के बाद सबकी निगाहें गहलोत के राजनीतिक भविष्य पर
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जयपुर । राजस्थान के मतदाताओं ने शनिवार को अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसके बाद सड़कों पर फिर से सन्नाटा पसर गया है। बहरहाल, राजनीति और सत्ता के गलियारों में सीएम अशोक गहलोत की किस्मत को लेकर चर्चा हो रही है।

जीते तो चौथी बार बनेंगे सीएम? और अगर वह हार गए तो क्या यह उनके राजनीतिक करियर पर पर्दा है?

खुद गहलोत कहते रहे हैं कि हर चुनाव के बाद सत्ता बारी-बारी से हाथ में जाने की दशकों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए उनकी सरकार दोबारा लौटेगी।

कांग्रेस आलाकमान ने इस बार विधानसभा चुनाव में बिना चेहरे के उतरने की घोषणा की थी, जिसका मतलब है कि अभी तक कोई आधिकारिक सीएम उम्मीदवार नहीं है। अगर पार्टी दोबारा रेगिस्तानी राज्य जीतती है तो पार्टी नेतृत्व यह फैसला बाद में लेगा।

तो आगे चलकर गहलोत का भविष्य क्या होगा?

कुछ कांग्रेस नेताओं का दावा है कि अगर पार्टी जीतती है तो गहलोत चौथी बार सीएम बनेंगे, वहीं पार्टी के कुछ नेता ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि गहलोत को चौथी बार सीएम बनने का मौका नहीं मिलेगा।

एक पार्टी कार्यकर्ता ने कहा, ''गहलोत तीन बार सीएम रह चुके हैं। इस बार ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है जिनकी हार निश्चित है। दरअसल, पहले तय हुआ था कि ऐसे उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिलेगा, लेकिन उन्हें मौका दिया गया है। गहलोत चाहते थे कि वे चुनाव लड़ें। अब अगर वे हारे तो जिम्मेदारी उन्हें ही लेनी होगी, इसलिए आलाकमान ने गेंद उनके पाले में डाल दी है ताकि चुनाव में जो भी नतीजा आए उसकी जिम्मेदारी वह ले सकें।''

एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा, ''गहलोत ने अपने काम के लिए डिजाइन बॉक्स को मार्केटिंग एजेंसी के रूप में चुना। एजेंसी ने एक तरह से कांग्रेस का लोगो दोबारा लॉन्च किया। इसके सभी विज्ञापन गहरे गुलाबी और पीले रंग वाले बैनर, पोस्टर और विज्ञापनों के रूप में लगाए गए। हालांकि इन विज्ञापनों में पार्टी का तिरंगे वाला लोगो कम ही नजर आया। साथ ही एजेंसी ने शुरुआती समय में हाथ का निशान भी गायब कर दिया। विज्ञापन में केवल गहलोत का चेहरा था। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस मुहिम के खिलाफ आवाज उठाई है। आख़िरकार उनकी तस्वीर विज्ञापन में आने लगी।''

एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा, ''ऐन वक्त पर इस एजेंसी ने सचिन पायलट, राहुल गांधी, सोनिया और प्रियंका गांधी के चेहरों को चुनाव प्रचार में उतारा, जब सभी सर्वेक्षणों ने संकेत दिया कि पार्टी सीटों की संख्या में 70 का आंकड़ा पार नहीं कर रही है।''

राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भंडारी ने कहा कि अशोक गहलोत के सीएम बनने की संभावना बहुत कम है। अगर वह सत्ता में नहीं आए तो उनके पास एक ही पद बचेगा, वो हैं 'विपक्ष के नेता' का। हालांकि आलाकमान यह पद सचिन पायलट या सीपी जोशी में से किसी एक को देगा।

भंडारी ने कहा, ''इस चुनाव में गलतियां हुई हैं। यह या तो गहलोत हैं या पायलट। और कोई तीसरा नंबर नहीं है। इस चुनाव में न तो ब्राह्मणों का योगदान रहा और न ही किसी जाट चेहरे या एससी/एसटी का। चुनाव प्रबंधन की कला है, लेकिन कांग्रेस राजस्थान में इसे प्रबंधित करने में विफल रही और इसलिए ये परिणाम हुए।''

उन्होंने कहा, "अभी एक और मुद्दा है और वह यह है कि गहलोत के नेतृत्व में एक युवा नेतृत्व तैयार नहीं किया गया है जिसने यहां एक चुनौती पेश की है।"

हालांकि, उन्होंने कहा कि गहलोत अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में वरिष्ठ पद पर योगदान देंगे और उनके अनुभव से पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर फायदा होगा।


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