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 जुर्माने के बाद तेजस्वी ने नीतीश की नैतिकता पर सवाल उठाये

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कॉपीराइट के उल्लंघन के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय से जुर्माना लगाये जाने पर उन्हें आड़े हाथे लिया

 जुर्माने के बाद तेजस्वी ने नीतीश की नैतिकता पर सवाल उठाये
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पटना। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कॉपीराइट के उल्लंघन के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय से जुर्माना लगाये जाने पर उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यदि अदालत ने उनपर जुर्माना किया होता तो कुमार उनसे नैतिकता के आधार पर इस्तीफा मांग लेते ।

यादव ने आज सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर ट्वीट कर राजनीति में उच्च नैतिकता के पक्षधर होने के श्री कुमार के दावों पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘मुख्यमंत्री जी बताएं, किसी छात्र का शोध पेपर अपने नाम से छापना कौन सी नैतिकता है? नैतिकता का निर्धारण सहूलियत से करने पर अंतरात्मा क्या बोलती है?’ उन्होंने इसके बाद एक अन्य ट्वीट कर कहा, ‘अगर कोर्ट 20 हज़ार जुर्माना तेजस्वी पर लगा देता तो नीतीश जी नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़ा माँग लेते। है ना नीतीश जी? ’
गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले बुधवार को जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र अतुल कुमार सिंह की ओर से कॉपीराइट के उल्लंघन के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रतिवादी के रूप में नाम हटाने का अनुरोध खारिज करते हुए उन पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया ।

सिंह का आरोप है कि पटना स्थित 'एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट' (आद्री) के सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता के जरिये और श्री कुमार के अनुमोदन से प्रकाशित पुस्तक उनके शोध कार्य का चुराया हुआ संस्करण है । इस मामले में कुमार की ओर से कहा गया था कि उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है और उन्हें द्वेषपूर्ण मंशा से शर्मिंदा करने के लिए पक्षकार बनाया गया था ।

दिल्ली उच्च न्यायालय के संयुक्त रजिस्ट्रार संजीव अग्रवाल ने मामले में सुनवाई के बाद श्री कुमार की दलीलों को खारिज करते हुए पारित आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता को प्रतिवादी चुनने का हक है। जेएनूय के दो सुपरवाइजरों ने प्रमाणित किया है कि श्री सिंह की कृति उनकी ही है । इसलिए श्री कुमार के खिलाफ मुकदमा करने के पर्याप्त आधार हैं। उन्होंने कहा कि श्री कुमार की ओर से दिया गया वर्तमान अंतरिम आवेदन कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है और इसे 20,000 रुपये के जुर्माने के साथ खारिज किया जाता है।


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