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ऑपरेशन सिंदूर' के बाद 'चीफ्स चिंतन', पूर्व सेना प्रमुखों के साथ समन्वय मजबूत करने पर जोर

भारतीय सेना के पूर्व सेना प्रमुखों के साथ 'ऑपरेशन सिंदूर' की ऑपरेशनल जानकारी साझा की गई है

ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीफ्स चिंतन, पूर्व सेना प्रमुखों के साथ समन्वय मजबूत करने पर जोर
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नई दिल्ली। भारतीय सेना के पूर्व सेना प्रमुखों के साथ 'ऑपरेशन सिंदूर' की ऑपरेशनल जानकारी साझा की गई है। नई दिल्ली में भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और पूर्व सेना प्रमुखों के बीच एक संरचित संवाद कार्यक्रम 'चीफ्स चिंतन' आयोजित किया जा रहा है। यह दो दिवसीय कार्यक्रम मंगलवार को शुरू हुआ।

'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य पूर्व सेना प्रमुखों के संस्थागत ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाना है। ऐसा करने से भारतीय सेना के भविष्य के दृष्टिकोण और सेना में होने वाले बदलावों को और अधिक सुदृढ़ किया जा सकेगा।

जनरल द्विवेदी ने पूर्व सेना प्रमुखों का स्वागत किया और इस बात पर जोर दिया कि भारतीय सेना के परिवर्तन और दिशा निर्धारण में उनकी सतत भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम के दौरान सबसे महत्वपूर्ण विषय 'ऑपरेशन सिंदूर' ही रहा।

'ऑपरेशन सिंदूर' पर पूर्व सेनाध्यक्षों को विस्तृत ऑपरेशनल प्रस्तुति दी गई। इस प्रस्तुति में भारतीय थल सेना का वायुसेना और नौसेना के साथ समन्वित संचालन, उसकी रणनीतिक प्रभावशीलता और संयुक्त संचालन मॉडल पर चर्चा की गई। इसके माध्यम से पूर्व सेना प्रमुखों को पूरी परिचालन पृष्ठभूमि से अवगत कराया गया और उनके सुझाव आमंत्रित किए गए।

इस महत्वपूर्ण संवाद में पूर्व प्रमुखों को सेना में नवीनतम तकनीकों के समावेशन और आधुनिकीकरण की पहलों की भी जानकारी दी गई। सम्मेलन के दौरान कई विषयों पर चर्चा की जा रही है। सेना के अंदर प्रौद्योगिकी को लेकर की गई पहल भी चर्चा का एक विषय है। बताया गया कि कैसे तकनीकी समावेशन की दिशा में प्रयास हो रहे हैं। वहीं, विकसित भारत 2047 के अंतर्गत भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में भारतीय सेना की भूमिका पर भी विचार किया जा रहा है।

सेना प्रमुख और पूर्व सेना प्रमुखों के समक्ष मानव संसाधन और पूर्व सैनिक कल्याण भी एक विषय है। इसमें चर्चा की जा रही है कि कैसे एचआर नीतियों में सुधार किया जा रहा है और पूर्व सैनिकों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाई और लागू की जा रही हैं।

इस महत्वपूर्ण संवाद में पूर्व सेना प्रमुखों ने अपने विचार और सुझाव साझा किए हैं। भारतीय सेना का मानना है कि ये विचार भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाने और संगठनात्मक सुधारों को गति देने में सहायक होंगे। यह संवाद सेना नेतृत्व की निरंतरता और ‘भविष्य के लिए तैयार’ भारतीय सेना की सामूहिक प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है।


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