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एनजीटी के बाद अब शीर्ष अदालत का फैसला, अभी तक नहीं हटा खटारा वाहन

 दस वर्ष पुराने डीजल और 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों के संचालन पर अब सर्वोच्च न्यायालय ने पूरी तरह से रोक लगा दी है

एनजीटी के बाद अब शीर्ष अदालत का फैसला, अभी तक नहीं हटा खटारा वाहन
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नोएडा। दस वर्ष पुराने डीजल और 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों के संचालन पर अब सर्वोच्च न्यायालय ने पूरी तरह से रोक लगा दी है। ऐसे में 31 दिसम्बर 1999 से पहले के रजिस्टर्ड सभी वाहनों को अब सड़क से हटाया जाएगा। अदालत के इस फैसले के बाद ट्रांसपोर्टरों की आखिरी उम्मीद भी समाप्त हो गई है।

हैरानी की बात यह है कि पिछले दिनों नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और सर्वोच्च न्यायालय के रोक के बावजूद गौतमबुद्ध नगर से खटारा वाहनों को हटाने की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं की जा सकी है। जबकि गौतमबुद्ध नगर के प्रवर्तन अधिकारियों की ओर से खटारा वाहनों को हटाने के बाद खड़ा करने के लिए शहर में तीन स्थान को चिंहित भी किया गया था। यहीं नहीं शहर में कितने खटारा वाहन संचालित हो रहे है। इसके लिए आज तक सर्वे भी नहीं कराया गया। जबकि इस कार्य को पहले ही पूरा किया जाना था।

इससे शहर में लगातार वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। वाहनों के दबाव लगातार सड़कों पर बढ़ रहा है, जिससे जगह-जगह सड़क में जाम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। बता दें कि गौतमबुद्ध नगर परिवहन कार्यालय में 10 वर्ष पुराने डीजल व 15 वर्ष पुराने पेट्रोल के करीब 25 हजार वाहन रजिस्टर्ड है।

जाम भी है वायु प्रदूषण का कारण

नोएडा में जाम में वाहनों में फूकने वाले ईंधन की वजह से भी वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। एक 1200 सीसी की कार आधे घंटे अगर जाम में फंस जाए तो लगभग डेढ़ किलो कार्बन उत्सर्जन करता है। मानक के अनुसार बीएम 3 कार को 2.3 ग्राम प्रति किलोमीटर से 5.22 ग्राम प्रति किलोमीटर कार्बन उत्सर्जन करना चाहिए। वाहनों के कार्बन उत्सर्जन की मात्रा उसकी हालत और लोड पर भी निर्भर करती है।


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