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अल जवाहिरी के बाद एक और खूंखार आतंकी अफगानिस्तान में मारा गया

अल कायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी के अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद एक और खूंखार आतंकी मारा गया है.

अल जवाहिरी के बाद एक और खूंखार आतंकी अफगानिस्तान में मारा गया
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एक शीर्ष पाकिस्तानी आतंकवादी अफगानिस्तान में तीन सहयोगियों के साथ मारा गया है. तीन आतंकवादी कमांडरों और एक खुफिया अधिकारी ने सोमवार को इसकी पुष्टि की है. आतंकवादी के सिर पर 30 लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम था. प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के शीर्ष कमांडर अब्दुल वली जिसे उमर खालिद खोरासानी के नाम से भी जाना जाता है, उसे और उसके साथियों को ले जा रहे वाहन को रहस्यमयी विस्फोटक से निशाना बनाया गया.

सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि खोरासानी अफगानिस्तान के दक्षिण-पूर्वी पक्तिका प्रांत में तीन साथियों के साथ एक वाहन में यात्रा कर रहा था, जब रविवार शाम सड़क किनारे हुए एक विस्फोट में सभी मारे गए. एक आतंकवादी कमांडर एहसानुल्लाह एहसान ने भी उसकी मौत की पुष्टि करने के लिए ट्वीट किया और कहा, "वह अब हमारे साथ नहीं है."

खबरों के मुताबिक खोरासानी की कार उस समय विस्फोट की चपेट में आ गई जब वह मार्गा के निकट एक जिले आर्गन की यात्रा कर रहा था. उसके साथ मुफ्ती हसन और हाफिज दौलतखान ओरकजई भी कार में मौजूद थे.

अमेरिका ने टीटीपी की एक शाखा जमीयत-उल-अहरार को आतंकवादी समूह घोषित किया था और उसके नेता उमर खालिद खोरासानी की गिरफ्तारी या मौत के संबंध में जानकारी देने वाले को 30 लाख डॉलर के इनाम देने की घोषणा की थी.

खोरासानी की मौत के एक हफ्ते पहले ही अल कायदा की कमान संभालने वाला अयमान अल जवाहिरी मारा गया था. 71 वर्षीय जवाहिरी को अमेरिका ने अफगानिस्तान में एक ड्रोन हमले में मार गिराया था.

खोरासानी की मौत पर तालिबान सरकार और पाकिस्तान ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. काबुल में तालिबान सरकार और पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने खोरासानी की हत्या पर टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया. वहीं टीटीपी ने कहा कि वह खोरासानी की मौत की पुष्टि के बाद ही विस्तृत बयान जारी करेगा. खोरासानी टीटीपी का संस्थापक सदस्य था.

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पहले भी हमले हो चुके हैं

खोरासानी को पहले भी मारने का प्रयास किया गया था, लेकिन वह हर बार भागने में सफल रहा. 2015 में वह घायल हो गया था और उसके कई प्रमुख सहयोगी पाकिस्तान की सीमा से लगे अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में एक सीमा क्षेत्र पर अमेरिकी और अफगान बलों के हमले में मारे गए थे. खोरासानी समूह ने अतीत में पाकिस्तान में पुलिस, सेना, अल्पसंख्यक शिया और ईसाई समुदायों पर कई हमलों की जिम्मेदारी ली है. एक अनुमान के मुताबिक टीटीपी ने पिछले दो दशक में 80 हजार पाकिस्तानियों की हत्या की है.

अधिकारियों का कहना है कि अपने शिया विरोधी रुख के चलते खोरासानी समूह ने कुछ साल पहले अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आईएसआईएस से हाथ मिलाया था, लेकिन पिछले साल वह फिर से टीटीपी में शामिल हो गया था.

खोरासानी कभी पाकिस्तान सरकार के साथ किसी भी तरह की बातचीत के खिलाफ था. हालांकि, पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि जब पाकिस्तान ने शांति वार्ता के लिए धार्मिक विद्वानों का एक प्रतिनिधिमंडल काबुल भेजा, तो इस प्रतिनिधिमंडल के साथ चर्चा करने वाले टीटीपी प्रतिनिधिमंडल में उमर खालिद खोरासानी को भी शामिल किया गया था.

खोरासानी की मौत के बाद टीटीपी और पाकिस्तान सरकार के बीच चल रही शांति वार्ता का भविष्य अधर में पड़ सकता है. पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुई शांति वार्ता अब निर्णायक चरण में प्रवेश कर गई है.

टीटीपी पाकिस्तान में सरकार को हटाकर कठोर शरिया कानून लागू करना चाहता है.


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