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सौ साल बाद पेरिस की सेन नदी लोगों के तैरने के लिए तैयार

गंदगी के चलते पेरिस की सेन नदी में तैरने पर रोक लगाई गई थी. करोड़ों रुपए खर्च करके अब इसे साफ कर लिया गया है और जनता के लिए खोलने की तैयारी भी है.

सौ साल बाद पेरिस की सेन नदी लोगों के तैरने के लिए तैयार
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923 में तैरने पर लगी पाबंदी के दिन खत्म होने को हैं क्योंकि सेन नदी अब जल्दी ही तैराकों का स्वागत करेगी. गंदे पानी की वजह से इस नदी में तैरने पर लगी पाबंदी हटाने के लिए जो सफाई अभियान चला, वह ऐतिहासिक है. डेढ़ अरब डॉलर से ज्यादा खर्च से सेन को नया जीवन दिया गया है. पेरिस शहर में ओलिंपिक खेलों की तैयारी के तहत चल रहे काम ने इसे संभव किया है. यहां ओलिंपिक और पैरालिंपिक खेल कराने की तैयारी है जिसमें ट्राएथलॉन, मैराथन और पैरा-ट्राएथलॉन शामिल हैं. यही नहीं, इस बात की भी उम्मीद है कि साल 2025 से यहां तीन स्विमिंग पूल आम लोगों के लिए खोल दिए जाएंगे.

क्या ओडर नदी में फिर से बड़ी संख्या में मर सकती हैं मछलियां?

पेरिस शहर के उप-मेयर और ओलिपिंक-पैरालिंपिक की जिम्मेदारी संभाल रहे पिएर रबादान कहते हैं, "जब लोग खिलाड़ियों को बिना किसी दिक्कत के इस नदी में तैरते देखते तो उनमें भरोसा जगेगा कि वह खुद भी इसमें वापस जा सकते हैं. यह भविष्य को हमारा योगदान है."

नदी में गंदगी

बहुत से पश्चिमी देशों की तरह पेरिस में भी औद्योगिक और शहरी घरों से निकले गंदे पानी ने नदी का हाल खराब कर दिया. सेन में गंदगी का हाल यह था कि 1960 के दशक में यहां मछलियों की केवल तीन प्रजातियां ही बची थीं जबकि 1923 से तैराकी बंद थी हालांकि दूसरे विश्व युद्ध तक क्रिसमस पर एक प्रतियोगिता आयोजित की जाती रही. इस गंदगी की एक सबसे बड़ी वजह रही पेरिस शहर का सिंगल ड्रेनेज सिस्टम जिसके तहत घरों की किचन से निकला पानी, बाथरूम और सीवेज के पानी में मिल जाता है.

बाढ़: कैसे इतना ताकतवर हो जाता है पानी

सामान्य स्थितियों में शहर का पानी सड़कों के नीचे बनी सुरंगों से ट्रीटमेंट सेंटरों में पहुंचाया जाता है लेकिन जब भारी बारिश होती है तो सिस्टम पर दबाव की वजह से पानी को नदी में खोलने के अलावा कोई चारा नहीं होता. यह इस सफाई परियोजना के लिए एक बड़ी चुनौती भी रही कि कैसे नदी में गंदे पानी को जाने से रोका जाए.

सफाई अभियान

साफ-सफाई के इस विस्तृत कार्यक्रम के तहत उन घरों, नावों और व्यवसायों पर कार्रवाई की गई जो गंदा पानी नदी में बहाते हैं. इसके अलावा सीवेज के पानी को साफ करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था को बेहतर किया गया ताकि बैक्टीरिया युक्त पानी बारिश के दिनों में नदी में ना जाए.

कमाई में दरार डालता यूरोप का सूखा

नदी को दोबारा जीवन देना ना सिर्फ ओलिंपिक खेलों की तैयारी की नजर से बड़ी बात है बल्कि बढ़ते तापमान को देखते हुए भी यह एक अहम सफलता है. पेरिस में गर्मियों में तापमान बढ़ रहा है. अनुमानों के मुताबिक 2050 तक यह 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है. ऐसे में तैरने के लिए पानी के नए स्रोत मौजूद होना, शहरी जिंदगी के लिए काफी जरूरी है.


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