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अफ्रीका: भ्रष्टाचार का डंक, 60 फीसदी युवा पलायन करना चाहते हैं

16 देशों के 5,600 से अधिक युवाओं के एक ताजा सर्वे के मुताबिक 60 फीसदी अफ्रीकी युवा देश छोड़ने की सोच रहे हैं, क्योंकि अनियंत्रित भ्रष्टाचार उनके भविष्य के लिए खतरा है. इस सर्वे में कोई अहम बातें सामने आई हैं

अफ्रीका: भ्रष्टाचार का डंक, 60 फीसदी युवा पलायन करना चाहते हैं
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16 देशों के 5,600 से अधिक युवाओं के एक ताजा सर्वे के मुताबिक 60 फीसदी अफ्रीकी युवा देश छोड़ने की सोच रहे हैं, क्योंकि अनियंत्रित भ्रष्टाचार उनके भविष्य के लिए खतरा है. इस सर्वे में कोई अहम बातें सामने आई हैं.

अफ्रीकी महाद्वीप के 16 देशों में किए गए एक हालिया सर्वे के नतीजों के मुताबिक, व्यापक भ्रष्टाचार के कारण 60 प्रतिशत युवा अफ्रीकी अपने देश छोड़ना चाहते हैं.

दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सिबर्ग में मौजूद एशिकोविट्स फैमिली फाउंडेशन ने 18 से 24 साल की उम्र के 5,604 युवाओं की राय जानी और नतीजों के मुताबिक सर्वे में शामिल युवा भ्रष्टाचार को "एकमात्र सबसे बड़ी बाधा" के रूप में देखते हैं, जिसका सामना वे अपनी क्षमता और बेहतर जीवन को प्राप्त करने में करते हैं.

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सरकार से निराश अफ्रीकी युवा

सर्वे रिपोर्ट में कहा गया, "सबसे बड़ी बात यह है कि उन्हें भरोसा नहीं है कि उनकी सरकारें इस समस्या से निपटने के लिए पर्याप्त कदम उठा रही हैं और इसी वजह से लगभग 60 फीसदी लोग अगले पांच सालों में देश छोड़ने की सोच रहे हैं."

अफ्रीकी यूथ सर्वे 2024 के बारे में एशिकोविट्स फैमिली फाउंडेशन का कहना है कि इसका दायरा और पैमाना दोनों ही अभूतपूर्व हैं. सर्वेक्षण में जनवरी और फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से लेकर इथियोपिया तक के देशों में युवाओं के साथ आमने-सामने बैठकर इंटरव्यू किए गए. इस आयु वर्ग के लोगों में विदेश जाने के लिए पसंदीदा देशों में उत्तरी अमेरिका, इसके बाद ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन जैसे पश्चिमी यूरोपीय देश थे.

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क्या सोचते हैं अफ्रीका के युवा

सर्वे में शामिल आधे से अधिक (55 प्रतिशत) युवाओं ने कहा कि अफ्रीका "गलत दिशा" में जा रहा है. हालांकि वर्तमान सर्वेक्षण में 2022 की तुलना में "अफ्रीकी आशावाद" में 37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

फाउंडेशन ने कहा, "वे (सर्वे में शामिल युवा) भ्रष्ट राजनेताओं के खिलाफ सख्त प्रतिबंध चाहते हैं, जिसमें उनके चुनाव लड़ने पर रोक भी शामिल है. वे सरकार का एक अलग स्वरूप भी चाहते हैं."

हालांकि इंटरव्यू में शामिल लगभग दो-तिहाई लोग लोकतंत्र में विश्वास करते हैं, लगभग 60 प्रतिशत ने लोकतंत्र के "अफ्रीकी-प्रेरित" स्वरूप का समर्थन किया. सर्वे में भाग लेने वाले हर तीन में से लगभग एक का मानना था कि कुछ हालात में गैर-लोकतांत्रिक व्यवस्था, जैसे कि सैन्य या एक-दलीय शासन बेहतर हो सकता है.

अफ्रीकी देशों में विदेशी प्रभाव

सर्वे में शामिल अधिकांश लोगों (72 प्रतिशत) ने कहा कि अफ्रीकी देशों में विदेशी प्रभाव एक समस्या है. फाउंडेशन के अनुसार, "वे अपने देशों में विदेशी कंपनियों द्वारा शोषण को लेकर चिंतित हैं, खासकर उन देशों में जो प्राकृतिक खनिज संपदा का खनन कर रहे हैं और लोगों को लाभ पहुंचाए बिना इन खनिजों को निकाल रहे हैं."

82 प्रतिशत लोगों ने चीन के प्रभाव को सकारात्मक रूप से देखा, जबकि 79 प्रतिशत ने अमेरिका के प्रभाव को सकारात्मक रूप में देखा. रूसी प्रभाव की धारणाएं बढ़ी हैं, विशेष रूप से मलावी और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में जहां रूस के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले आधे से अधिक लोग मॉस्को की अनाज और खाद आपूर्ति का हवाला देते हैं.

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सर्वे में भाग लेने वाले अधिकतर लोगों ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप की जीत का अफ्रीका के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस की जीत से भी बुरा परिणाम होगा.

अफ्रीकी युवा सर्वे पहली बार 2020 में हुआ था. इसका मकसद "वैज्ञानिक रूप से अफ्रीका के युवाओं को आवाज देना" है. फाउंडेशन के संचार निदेशक निको डी क्लार्क ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि इस डेटा का इस्तेमाल सरकारें, गैर सरकारी संगठन और निवेशकों के लिए अहम है.

अफ्रीकी देशों में बरोजगारी

अफ्रीका में दुनिया की सबसे युवा और सबसे तेजी से बढ़ती हुई आबादी है. मो. इब्राहिम फाउंडेशन के मुताबिक 2020 में इस महाद्वीप के निवासियों की औसत आयु 19.7 वर्ष थी, जबकि लैटिन अमेरिका में यही औसत 31 वर्ष, उत्तरी अमेरिका में 38.6 वर्ष और यूरोप में 42.5 वर्ष थी.

अफ्रीका विकास बैंक के मुताबिक इस महाद्वीप में 15 से 35 वर्ष की आयु के बीच लगभग 42 करोड़ युवा आबादी है, जिनमें से एक तिहाई बेरोजगार हैं. बैंक का कहना है कि 2050 तक अफ्रीका की कुल युवा आबादी दोगुनी होकर 83 करोड़ हो जाएगी.


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