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हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी क्या है और पॉलिसी कैसे पोर्ट करें?

What is health insurance portability and how to port the policy?
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What is health insurance portability and how to port the policy?

हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी: अपनी पॉलिसी को बिना फायदे खोए नए प्लान में कैसे बदलें

हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी की मदद से आप अपनी मौजूदा पॉलिसी को बिना फायदे खोए किसी दूसरी कंपनी या बेहतर प्लान में बदल सकते हैं। अगर प्रीमियम, सर्विस या कवरेज से संतुष्ट नहीं हैं, तो IRDA के नियमों के तहत रिन्यूअल के समय पॉलिसी पोर्ट कर सकते हैं। इसका फायदा यह है कि प्लान बदलने पर भी आपके रिन्यूअल से जुड़े सभी लाभ वैसे ही बने रहते हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी क्या है?

हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी का मतलब है कि आप अपनी चल रही हेल्थ पॉलिसी को किसी दूसरी इंश्योरेंस कंपनी के नए प्लान में बदल सकते हैं, वो भी बिना अपने मिले हुए फायदे खोए। यानी आपका नो-क्लेम बोनस (NCB), वेटिंग पीरियड क्रेडिट, फ्री मेडिकल चेक-अप जैसे लाभ नए इंश्योरर के साथ भी जारी रहते हैं।

यह सुविधा उन पॉलिसीधारकों के लिए बहुत उपयोगी है, जो अपनी मौजूदा कंपनी से संतुष्ट नहीं हैं और बेहतर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान या बेहतर सेवा चाहते हैं। बस ध्यान रहे, पुरानी पॉलिसी की रिन्यूअल में कोई गैप नहीं होना चाहिए।

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पोर्ट कब और क्यों करनी चाहिए?

पॉलिसी री-न्यूअल के समय पोर्ट करना सबसे आसान और प्रैक्टिकल विकल्प माना जाता है, इसके पीछे ये कारण हैं:

1. कवरेज में कोई गैप न हो
रिन्यूअल के समय पोर्ट करने से पुरानी और नई पॉलिसी के बीच कोई ब्रेक नहीं आता। कवरेज लगातार बना रहता है और क्लेम में दिक्कत नहीं होती।

जैसे - मान लीजिए आपकी मौजूदा पॉलिसी में 2 साल का वेटिंग पीरियड पूरा हो चुका है। नई कंपनी में जाते समय आपको यह 2 साल फिर से पूरे नहीं करने पड़ेंगे।

2. सही टाइमलाइन इसी समय पर होती है
IRDAI के अनुसार, पोर्टिंग रिक्वेस्ट पॉलिसी की एक्सपायरी से 45–60 दिन पहले देना होता है। रिन्यूअल पीरियड में डॉक्युमेंट, अंडरराइटिंग और अप्रूवल की प्रक्रिया आसानी से पूरी हो जाती है।
3. वेटिंग पीरियड और फायदे ट्रांसफर करना आसान
रिन्यूअल के समय पॉलिसी की उम्र, वेटिंग पीरियड और NCB साफ़ दिखता है। इससे नई कंपनी को कंटिन्युटी बेनिफिट्स ट्रांसफर करना आसान हो जाता है।
4. प्रीमियम और कवरेज तुलना का सही मौका
रिन्यूअल से पहले आप अलग-अलग कंपनियों के प्रीमियम, कवरेज और नेटवर्क हॉस्पिटल की तुलना कर सकते हैं। बेहतर प्लान मिलने पर बिना पॉलिसी कैंसल किए आसानी से पोर्ट किया जा सकता है।
5. मिड-टर्म बदलने की झंझट से बचाव
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टिंग केवल रिन्यूअल के समय ही संभव है। साल के बीच में पॉलिसी बदलने पर रिफंड, प्रीमियम कैल्कुलेशन और प्रक्रिया जटिल हो जाती है।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पोर्ट करने की स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को पोर्ट करना अब एक आसान और व्यवस्थित प्रक्रिया है। यदि आप पोर्टेबिलिटी कैसे काम करती है, यह समझना चाहते हैं, तो आप हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी के बारे में यहाँ और पढ़ सकते हैं:

स्टेप 1: जिस नई इंश्योरेंस कंपनी में आप पॉलिसी पोर्ट करना चाहते हैं, उसे अपनी पॉलिसी रिन्यूअल डेट से कम से कम 45 दिन पहले पोर्टेबिलिटी रिक्वेस्ट भेजें।

स्टेप 2: रिक्वेस्ट मिलने के बाद नया इंश्योरर आपको प्रपोज़ल फॉर्म और पोर्टेबिलिटी फॉर्म देगा, और उपलब्ध हेल्थ प्लान्स की जानकारी भी साझा करेगा।

स्टेप 3: अपनी जरूरत के अनुसार नया हेल्थ प्लान चुनें और दोनों फॉर्म भरकर नए इंश्योरर को जमा करें।

स्टेप 4: फॉर्म मिलने के बाद नया इंश्योरर आपकी पुरानी कंपनी से आपके क्लेम हिस्ट्री, मेडिकल रिकॉर्ड्स आदि की जानकारी मांगेगा। यह जानकारी IRDAI पोर्टल से भी मिल सकती है।

स्टेप 5: पुराना इंश्योरर IRDAI के कॉमन डेटा-शेयरिंग पोर्टल पर सारी ज़रूरी जानकारी 7 कार्यदिवसों के अंदर अपलोड कर देता है। अगर जानकारी देने में देरी होती है, तो नया इंश्योरर आपके पोर्टिंग रिक्वेस्ट पर अपना फैसला रोक सकता है।

स्टेप 6: सारी जानकारी मिलने के बाद नया इंश्योरर पोर्टिंग रिक्वेस्ट को 15 दिनों के भीतर स्वीकार या अस्वीकार करने का निर्णय लेगा।

अगर वे 15 दिनों की समय सीमा में निर्णय नहीं लेते, तो पोर्टेबिलिटी रिक्वेस्ट को स्वीकार माना जाता है।

नए इंश्योरर को चुनने के लिए जरूरी टिप्स

अगर आप अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को किसी नए इंश्योरर के पास पोर्ट करना चाहते हैं, तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें:

1. क्लेम सेटलमेंट रेशियो - ऐसी कंपनी चुनें जिसकी क्लेम प्रक्रिया तेज और भरोसेमंद हो।

2. सर्विस क्वालिटी - कस्टमर सपोर्ट अच्छा हो और सवालों का जवाब जल्दी मिले।

3. नेटवर्क हॉस्पिटल - आपके शहर और आस–पास पर्याप्त नेटवर्क हॉस्पिटल हों ताकि कैशलैस ट्रीटमेंट आसानी से मिल सके।

4. कवरेज आपकी जरूरत के हिसाब से - नया प्लान डेकेयर, प्री/पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन और आधुनिक उपचार जैसे जरूरी कवरेज देता हो।

5. किफायती प्रीमियम - प्रीमियम उचित हो और कवरेज पूरा, सिर्फ सस्ता देखकर प्लान न चुनें।

6. कम सब–लिमिट और को-पेमेंट - ऐसा प्लान बेहतर है जिसमें रूम रेंट और क्लेम पर पाबंदियाँ कम हों।

7. कम वेटिंग पीरियड - प्री-एग्जिस्टिंग बीमारियों और मैटरनिटी के लिए कम वेटिंग पीरियड होना फायदेमंद होता है।

8. डिजिटल सुविधाएँ - ऑनलाइन क्लेम, डिजिटल डॉक्यूमेंट और आसान पोर्टिंग प्रक्रिया आपकी पूरी जर्नी को स्मूद बनाती है।

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को पोर्ट करने के लिए जरूरी दस्तावेज़

हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी के लिए आपको नीचे दिए गए दस्तावेज़ जमा करने होते हैं:

● पहचान प्रमाण

● पता प्रमाण
● पिछले सालों की पॉलिसी सर्टिफिकेट
● लेटेस्ट रिन्यूअल नोटिस, जिसमें कंटिन्यूटी का स्पष्ट उल्लेख हो
● नो-क्लेम की स्थिति में पॉलिसीफोल्डर द्वारा स्व-घोषणा
● अगर किसी क्लेम को दायर किया गया है तो डिस्चार्ज समरी, इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट आदि जैसे दस्तावेज़
● प्रपोज़ल फॉर्म

● पोर्टेबिलिटी फॉर्म

हेल्थ इंश्योरेंस खरीदना एक बड़ा फैसला है। अगर मौजूदा पॉलिसी में प्रीमियम ज्यादा लग रहा हो या सर्विस ठीक न लगे, तो रिन्यूअल के समय पोर्टिंग करके आप बिना फायदे खोए बेहतर कवरेज, बेहतर सर्विस और किफायती प्रीमियम पा सकते हैं।। यहीं काम आता है हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. पोर्टिंग के लिए रिक्वेस्ट कब तक देना चाहिए?

आमतौर पर नई कंपनी को रिन्यूअल डेट से कम से कम 45 दिन पहले पोर्टेबिलिटी रिक्वेस्ट देनी चाहिए, ताकि पूरी प्रक्रिया समय पर पूरी हो सके।

2. क्या नया इंश्योरर पोर्टिंग रिक्वेस्ट को मना भी कर सकता है?

हाँ, अगर मेडिकल रिस्क बहुत ज्यादा हो, जानकारी अधूरी हो या अंडरराइटिंग गाइडलाइंस के हिसाब से केस स्वीकार्य न हो, तो नया इंश्योरर पोर्टिंग रिक्वेस्ट अस्वीकार कर सकता है।

3. क्या मैं फैमिली फ्लोटर पॉलिसी भी पोर्ट कर सकता/सकती हूँ?

हाँ, फैमिली फ्लोटर पॉलिसी को भी दूसरी कंपनी या दूसरे प्लान में पोर्ट किया जा सकता है।

(नोट: यह एक सामान्य जानकारी है, किसी भी तरह की सलाह नहीं। अपने विवेक से निर्णय लें।)



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