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व्यापमं मामले में अग्रिम जमानत याचिका खारिज

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने बहुचर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) मामले में फंसे सात रसूखदार आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जियां आज खारिज कर दी हैं

व्यापमं मामले में अग्रिम जमानत याचिका खारिज
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जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने बहुचर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) मामले में फंसे सात रसूखदार आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जियां आज खारिज कर दी हैं।

मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और न्यायाधीश वी के शुक्ला की युगलपीठ ने सात याचिकाओं पर पारित तीन अलग-अलग आदेशों में कहा है कि आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं। आरोपी साबित हुए तो यह एक बड़ा अपराध होगा, क्योकि युवा छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है।

प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) 2012 में गड़बड़ी को लेकर 23 नवंबर को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 592 लोगों के खिलाफ भोपाल की स्पेशल कोर्ट में चालान पेश किया था। आरोपियों में व्यापमं के पूर्व अधिकारी सहित कई निजी मेडिकल कॉलेजों के चेयरमैन भी शामिल थे।

उच्च न्यायालय में एलएन मेडिकल कॉलेज की एडमिशन समिति के प्रभारी डॉ दिव्य किशोर सत्पथी, एलएन मेडिकल कॉलेज के चेयरमेन जय नारायण चौकसे, चिरायु मेडिकल कॉलेज के चेयरमेन डॉ अजय गोयनका, तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा संचालक (डीएमई) डॉ एस सी तिवारी, चिकित्सा शिक्षा के संयुक्त संचालक एन एम श्रीवास्तव, निजी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ विजय कुमार पण्डया एवं एडमिशन कमेटी के सदस्य डॉ विजय कुमार रमणानी और इंडैक्स मेडीकल कॉलेज के चेयरमेन सुरेश भदौरिया की ओर से यह अग्रिम जमानत अर्जियां दायर की गई थी। सुरेश भदौरिया की अर्जी को छोड़कर सात अर्जियों पर सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। आज सुनाये गये फैसले में न्यायालय ने सातों आरोपियों की जमानत अर्जियां खारिज कर दी।

डॉ गोयनका, चौकसे तथा डॉ सत्पथी की याचिका पर संयुक्त आदेश परित करते हुए न्यायालय ने कहा है कि चिरायु मेडिकल कॉलेज में 63 में से 55 तथा एलएन मेडिकल कॉलेज में 63 में से 41 छात्रों के दाखिले नियम विरुद्ध तरीके से पाये गये हैं। इसके अलावा कॉलेज प्रबंधन द्वारा रिक्त सीटों के संबंध में गलत जानकारी डीएमई को दी गयी। फर्जीवाड़ा इंजिन, बोगी तथा मिडिलमेन के माध्यम से हुआ है। परीक्षा में ऐसे छात्र शामिल हुए जो अन्य मेडिकल कॉलेज के छात्र थे और चयन होने के बाद षड्यंत्र के तहत उन्होंने निजी मेडिकल कॉलेज में दाखिला नहीं लिया। कॉलेज ने उन सीट पर अयोग्य छात्रों को नियम विरुद्ध तरीके से दाखिला दिया।

डॉ तिवारी और श्रीवास्तव की याचिका पर संयुक्त आदेश पारित करते हुए युगलपीठ ने कहा कि उन्होंने निजी कॉलेजों को फायदा पहुंचाने के लिए अंतिम अवसर में एलॉटमेंट लिस्ट जारी की। युगलपीठ ने उनकी बीमारी तथा वृद्ध अवस्था की दलीलों को नकारते हुए उनकी अग्रिम जमानत की याचिकाओं को खारिज कर दिया।

निजी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ पण्डया तथा एडमिशन कमेटी के सदस्य डॉ रमणानी की जमानत याचिका खारिज करते हुए युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि रिक्त सीटों के संबंध में उन्होंने डीएमई को गलत जानकारी दी है।


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