प्राकृतिक खेती अपनाएं किसान : राज्यपाल देवव्रत
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शुक्रवार को किसानों से प्राकृतिक खेती को अपनाने की अपील की

शिमला। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शुक्रवार को किसानों से प्राकृतिक खेती को अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसानों समर्पण और ईमानदारी के साथ शून्य बजट वाली प्राकृतिक खेती करनी चाहिए ताकि उत्पादन के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़े। आचार्य देवव्रत डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, सोलन में 'प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान' योजना के तहत सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती पर आयोजित किसान परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल ने कहा, "अनुसंधानों ने यह सिद्ध हुआ है कि प्राकृतिक खेती से भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है तथा यह मानव स्वास्थ्य की भी रक्षा करती है। हम प्राकृतिक कृषि के संबंध में अपने अनुभव के बाद ही किसानों को इस दिशा में प्रेरित कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि वह 25 वर्ष तक रसायनिक खाद युक्त कृषि एवं जैविक खेती करने के उपरांत प्राकृतिक खेती की ओर प्रवृत हुए और इसके परिणाम ने उन्हें किसानों को प्राकृतिक खेती की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा, "देसी गाय के मात्र एक ग्राम गोबर में 300 करोड़ से अधिक लाभदायक जीवाणु पाए जाते हैं। यह जीवाणु भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं। देसी गाय के गोबर के उपयोग से प्राकृतिक रूप से केंचुओं की बढ़ोत्तरी होती है जो भूमि को दीर्घावधि के लिए कृषि योग्य बनाकर वर्षा जल संग्रहण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।"
आचार्य देवव्रत ने कहा कि खाद के लिए प्रयोग में लाए जा रहे विभिन्न प्रकार के रसायन आरंभ में पैदावार बढ़ाते हैं, लेकिन धीरे-धीरे भूमि को बंजर बना देते हैं।
उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे पद्मश्री डॉ. सुभाष पालेकर द्वारा प्रचारित प्राकृतिक खेती की विधि अपनाएं। यह विधि आर्थिक रूप से भी लाभदायक है तथा इसमें रसायनिक खाद की अपेक्षा पानी भी काफी कम प्रयुक्त होता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि के उत्पादों के विपणन के लिए भी योजनाबद्ध कार्य किया जा रहा है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे प्राकृतिक खेती के प्रचार-प्रसार के लिए समूह बनाकर कार्य करें।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्रदेश सरकार देसी गाय की खरीद को बढ़ावा देने के लिए शीघ्र ही प्रावधान करने जा रही है। किसानों को देसी गाय क्रय करने के लिए 25 हजार रुपये का उपदान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि देसी गाय कृषि के साथ-साथ किसान की आय वृद्धि में भी सहायक बनेगी। देसी गाय के दूध की गुणवत्ता पूरे विश्व में सिद्ध हुई है।


