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आदि संस्कृति, आदि दर्शन है- इसके बिना अस्तित्व अधूरा : भूपेश

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के रंगा-रंग समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि - आदिवासी संस्कृति, आदि दर्शन है

आदि संस्कृति, आदि दर्शन है- इसके बिना अस्तित्व अधूरा : भूपेश
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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के रंगा-रंग समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि - आदिवासी संस्कृति, आदि दर्शन है। इसको आत्मसात करना होगा। इसको साथ लेकर आगे बढऩा होगा। इसके बिना हमारा अस्तित्व पूरा नहीं हो सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया है, परन्तु यह आयोजन आप सबके प्यार और सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप ले लिया है। गीत-संगीत, नृत्य, वाद्य और वादन के जरिए एक नया समाज आकार लेता दिखाई पड़ रहा है। यह वह समाज है जो हाशिए पर रहा है। मुख्यमंत्री ने इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के सफल आयोजन के लिए प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से भागीदार रहे सभी लोगों का धन्यवाद और आभार जताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व केन्द्रीय मंत्री भक्त चरणदास ने की।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत किसानों के पंजीयन की तिथि को 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 10 नवम्बर किए जाने तथा राज्य में एक दिसम्बर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की घोषणा भी की। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि इस आयोजन के जरिए हम सबने जनजातीय समाज की विविधता के दर्शन किए और साथ ही यह भी देखा और महसूस किया कि इनकी विविधता में भी कितनी समानता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इनकी कलाओं में एकरूपता है, क्योंकि यह प्रकृति से प्रेरणा लेते हैं। चाहे छत्तीसगढ़ का आदिवासी हो, या देश दुनिया के किसी कोने का, हमने यह देखा कि फसल कटाई और विवाह के अवसर पर यह उत्सव मनाते हैं और नृत्य करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस आयोजन के जरिए हमने सबको जोडऩे की कोशिश की है। लोगों को छत्तीसगढ़ आमंत्रित किया है कि वह छत्तीसगढ़ की समृद्ध कला, पुरातन और समृद्ध संस्कृति, यहां के नैसर्गिक सौन्दर्य और परंपरा के बारे में जाने और उसे समझें। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले छत्तीसगढ़ की पहचान नक्सलगढ़ के रूप में थी, जो अब सुख-शांति के गढ़ के रूप में दिखाई दे रही है। इसका कोई जोड़ नहीं है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति को एक नई पहचान देने की कोशिश हुई है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर ‘पाड़ामुंतोम बस्तर’, ‘ऐतिहासिक जीत को सलाम’, राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 2019 पर ‘कॉफी-टेबल बुक’ और ‘हमर संस्कृति, हमर तिहार’ पुस्तकों का विमोचन किया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के तहत विवाह संस्कार एवं अन्य पारंपरिक त्यौहार श्रेणी में आयोजित नृत्य प्रतियोगिता के विजेता नर्तक दलों को पुरस्कार राशि एवं प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। विवाह संस्कार श्रेणी में प्रथम पुरस्कार झारखण्ड के करसा नर्तक दल को, द्वितीय पुरस्कार ओडि़शा के धप नर्तक दल को तथा तृतीय पुरस्कार असम के कारबी तिवा नर्तक दल को मिला। इसी तरह अन्य पारंपरिक त्यौहार में भी झारखण्ड के छाऊ नृत्य दल ने प्रथम, ओडिशा के बाजसल नर्तक को द्वितीय तथा छत्तीसगढ़ के गौरसिंग नर्तक दल तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले नर्तक दलों को क्रमश: 5 लाख, 3 लाख और 2 लाख रूपए की पुरस्कार राशि एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के तहत आयोजित प्रतियोगिता के जूरी के सदस्यों को भी सम्मानित किया।

समारोह में पूर्व केन्द्रीय मंत्री भक्त चरणदास ने अपने उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ प्राकृतिक सम्पदा से भरपूर राज्य है। यहां के लोग सहज, सरल और मेहनतकश हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ देश और दुनिया में अपने प्राकृतिक संसाधनों एवं मानव संसाधनों की बदौलत महत्वपूर्ण है। उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य में जन-जन के कल्याण के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की और कहा कि छत्तीसगढ़ के विकास और यहां के लोगों की खुशहाली के लिए असंभव कार्यों को भी सरकार ने संभव कर दिखाया है। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और आदिवासी जनजीवन को सहेजने और संवारने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी सराहना की।

कार्यक्रम को संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने भी सम्बोधित करते हुए कहा कि तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन और इसकी सफलता का पूरा श्रेय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को समर्पित करते हुए कहा कि आप छत्तीसगढ़ का मान, अभिमान और स्वभिमान है। उन्होंने कहा कि कला का उद्देश्य पूर्णता की तलाश है। इस आयोजन में देश-विदेश से भाग लेने आए कलाकारों ने अपनी प्रकृति के माध्यम से प्रेम, सद्भावना और भाईचारे का संदेश दिया है। उन्होंने सभी कलाकारों का आभार जताया। कार्यक्रम के प्रारंभ में नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने स्वागत भाषण दिया।

इस अवसर पर गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, आदिमजाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिय़ा, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री उमेश पटेल, लोकसभा सांसद दीपक बैज, राज्यसभा सांसद श्रीमती फूलो देवी नेताम और श्रीमती छाया वर्मा, युगाण्डा की हेड ऑफ मिशन मिस ग्रेस अकेलो और नाईजीरिया के इकॉनामिक ट्रेड एवं इंवेस्टमेंट मिनिस्टर युसुफ सदाउके कबीरो, संसदीय सचिवगण और विधायकगण, मुख्य सचिव अमिताभ जैन सहित निगमों मण्डलों के अध्यक्ष एवं पदाधिकारी, अन्य जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।


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