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मुआवजा वसूलने कोर्ट के आदेश पर बिजली कार्यालय में कुर्की 

4 साल पुराने मामले में कार्रवाई,  अधिकारियों ने राशि दिलाने मांगा 15 दिन का समय

मुआवजा वसूलने कोर्ट के आदेश पर बिजली कार्यालय में कुर्की 
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विदिशा। शुक्रवार की दोपहर अस्पताल रोड स्थित एमपीएसईबी कार्यालय मेें कोर्ट के कर्मचारी नाजिर के साथ पहुंचे। जहां उन्होंने कार्यालय में मौजूद कुर्सियों को बाहर निकालना शुरू कर दिया। साथ ही कार्यालय के बाहर खड़े दो चार पहिया वाहनों को कुर्क कर लिया। दरअसल चार साल पुराने एक मामले में कोर्ट ने पीड़ित को मुआवजा देने के लिए यह कुर्की का आदेश दिया था।

अस्पताल रोड स्थित एमपीएसईबी कार्यालय में उस वक्त अजीबोगरीब स्थिति बन गई जब कोर्ट के नाजिर दल-बल के साथ न्यायालयीन आदेश लेकर पहुंचे। उन्होंने चार लाख 68 हजार रूपए की वसूली करने के लिए कार्यालय में मौजूद सामग्री की कुर्की करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। न्यायालयीन प्रक्रिया के चलते पूरे कार्यालय में हड़कंप की स्थिति थी। दरअसल यह कुर्की चार साल पुराने एक घटनाक्रम के बाद मुआवजा देने के लिए की जा रही थी। उल्लेखनीय है कि 19 फरवरी 2014 को एक हादसे के दौरान बिजली कंपनी के एक लाइनमेन की मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद पत्नि ने न्यायालय की शरण लेकर यह जीत हासिल की थी।

जानकारी के अनुसार 19 फरवरी 2014 को ग्राम कोठीचार कलां में लाइनमेन हलकेराम चिढ़ार की 11केव्ही की लाइन टूटने और उससे हुए हादसे में मृत्यु हो गई थी। उसके बाद उनकी पत्नि कलाबाई ने न्यायालय के माध्यम से न्याय की गुहार लगाई। हालांकि उसके पहले विभाग से मुआवजे की मांग को वे प्रयास करती रहीं। सफल न होता देख मजबूरी में न्यायालय की राह पकड़ी। एड. जितेन्द्र दुबे के माध्यम से उन्होंने न्यायालयीन लड़ाई लड़ी। वर्ष 2017 में न्यायालय ने फरियादी को चार लाख 68 हजार रूपए का मुआवजा और ब्याज दिए जाने के लिए एमपीएसईबी को निर्देश दिए। इस निर्देश के बाद भी कई बार नोटिस विभाग को भेजे गए, जिस पर अमल नहीं किया गया। कोई जवाब न मिलने पर और मुआवजा न मिलने पर द्वितीय अपर न्यायाधीश ने इस मामले में कुर्की के आदेश जारी कर दिए।

शुक्रवार की दोपहर नायब नाजिर अन्य दल बल के साथ एमपीएसईबी के अस्पताल रोड स्थित कार्यालय पहुंंचे। कार्यालय में मौजूद कुर्सियों को बाहर निकालकर उनकी गिनती की तो वहीं कार्यालय के बाहर खड़े दो चार पहिया वाहन को कुर्की के तहत जब्त कर लिया। हालांकि बताया जा रहा है कि अधिकारियों की ओर से न्यायालय में 15 दिन का समय लेकर विभागीय तौर से पीड़िता को यह मुआवजा राशि दिलाए जाने का समय ले लिया गया। जिससे फिलहाल जब्त की गई सामग्री कार्यालय को वापिस लौटा दी गई है।


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