Top
Begin typing your search above and press return to search.

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपनी पार्टी के मैनेजर को बूढ़ा और अप्रासंगिक करार दिया

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने इसका उदाहरण देते हुए ट्वीट कर कहा, सपा के बाद अब बसपा ने भी समझौता करने से साफ मना कर दिया, लगता है हमारी पार्टी के सीनियर 'मैनेजर' अब 'बूढ़े' होने के साथ-साथ 'अप्रासंगिक' भी हो गए हैं।

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपनी पार्टी के मैनेजर को बूढ़ा और अप्रासंगिक करार दिया
X

नई दिल्ली| कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपनी पार्टी के मैनेजर को बूढ़ा और अप्रासंगिक करार दिया है। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने इसका उदाहरण देते हुए ट्वीट कर कहा, सपा के बाद अब बसपा ने भी समझौता करने से साफ मना कर दिया, लगता है हमारी पार्टी के सीनियर 'मैनेजर' अब 'बूढ़े' होने के साथ-साथ 'अप्रासंगिक' भी हो गए हैं।

इसके बाद अब साफतौर पर लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की मुहिम को झटका लगते दिख रहा है। खास बात ये है कि लोकसभा चुनाव से पहले नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं लेकिन यूपी समेत कई राज्यों में अभी से विपक्षी दल कांग्रेस से किनारा करते नजर आ रहे हैं। अब बीएसपी और समाजवादी पार्टी ने भी कांग्रेस से किनारा कर लिया है। इसी को लेकर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पार्टी मैनेजर्स की चुटकी लेते हुए उन्हें बूढ़ा और अप्रासंगिक करार दिया है।

वहीं आचार्य प्रमोद की बात को आगे बढ़ाते हुए उनके एक समर्थक ने उनके ट्वीट के जवाब में कहा, कोई भी बेल लिपटने के लिए मजबूत तना ढूंढती है और बिना आमंत्रण के लिपट जाती है। वैसे ही कांग्रेस के सीनियर मैनेजर्स को अप्रासंगिक किया गया है। और मजे की बात ये है कि कांग्रेस की ही राह पर बीजेपी भी है।

हाल ही में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आईएएनएस से बात करते हुए करते कहा था कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा या पार्टी की प्रासंगिकता उसके लोकसभा चुनाव के नतीजों से ही तय होगी।

बीएसपी चीफ मायावती ने रविवार को जन्मदिन पर मीडिया से बात करते हुए कहा था, 2023 में कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के राज्य विधानसभा और अगले वर्ष देश के लोकसभा चुनाव में बसपा किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव नहीं लड़ेगी बल्कि अकेले अपने बलबूते पर यह सभी चुनाव लड़ेगी।

स्पष्ट है कि सपा और बीएसपी के इन दोनों पार्टियों के फैसलों से साफ हो गया कि आगामी चुनावों में कांग्रेस को विपक्ष का साथ नहीं मिलेगा। इससे बीजेपी को एक बार फिर बिखरे हुए विपक्ष के खिलाफ चुनाव में सफलता मिल सकती है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it