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दिल्ली हार पर भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप जारी

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से मंथन जारी है।

दिल्ली हार पर भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप जारी
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नई दिल्ली | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से मंथन जारी है। चुनाव में जिम्मेदारी निभा चुके नेता अपनी-अपनी शिकायत पार्टी तक पहुचा रहे हैं। सूत्रों के अुसार, ज्यादातर नेताओं का मानना है कि भाजपा का प्रचार अभियान ऊपर-ऊपर चला और कार्यकर्ताओं ने आलाकमान के सुझावों को गंभीरता से लागू नहीं किया। अधिकतर शिकायतें दिल्ली के स्थानीय नेताओं और पार्षदों को लेकर भी आई हैं। इसी प्रकार का एक शिकायती पत्र आईएएनएस के हाथ भी लगा है। इसमें हार के बाद नेताओं को आत्ममंथन करने की सलाह दी गई है।

पत्र में भाजपा प्रत्याशियों के चयन पर सवाल उठाया गया है। पत्र में कहा गया है कि इस प्रक्रिया की शुरुआत में कुछ नियम बनाए गए थे, लेकिन अंत में जब उम्मीदवारों की अंतिम सूची आई, तो पता चला कि सारे नियमों को ताख पर रखकर प्रत्याशियों का चुनाव किया गया। जमीनी हकीकत नहीं बताकर पार्टी हाईकमान को गुमराह किया गया। मजबूत प्रत्याशियों का चयन नहीं हुआ।

पत्र में कहा गया है, "हार के बाद पार्टी को चाहिए कि आत्ममंथन करे। कुछ उम्मीदवार ऐसे भी थे, जो दो या दो से जायदा बार हार चुके थे, लेकिन हमने उनको ही चुना।"

पत्र में प्रचार अभियान को लेकर भी सवाल खड़े करते हुए कहा गया है, "पार्टी की पूरी कैंपेन बिखरी-सी रही। सभी नेता अपना-अपना राग अलाप रहे थे। किसी प्रकार का सिंक्रोनाइजेशन नहीं था, न कोई तालमेल देखने को मिला। किन मुद्दों पर चुनाव लड़ा जा रहा था, यह स्पष्ट नहीं हो पाया। (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी जी का नाम कितनी बार भुनाएंगे, पार्टी को भी कुछ करना होगा।"

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की तरफ से लिखे गए इस पत्र में आगे कहा गया है, "ऐसा लग रहा था कि सिर्फ और सिर्फ गृहमंत्री अमित शाह जी चुनाव लड़ रहे हैं। हमारे नेता सिर्फ दो महीने पहले चुनाव में लगे, जबकि आप के नेता छह महीने पहले ही चुनावी मैदान में आ गए थे। पार्टी ने होमवर्क नहीं किया। बहुत कम जगह लगा कि उम्मीदवार या संगठन ने पुराने इतिहास को देख, और समझ कर काम करना शुरू किया।"

उल्लेखनीय है कि 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के चुनाव में आम आदमी पार्टी आप ने 62 सीटें जीत कर एक बार फिर से सत्ता में जोरदार वापसी की है। भाजपा मात्र आठ सीटें जीतने में सफल रही। जबकि चुनाव अभियान के दौरान भाजपा के सभी नेता कम से कम 48 सीटें जीतने का दावा कर रहे थे।


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