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आयुर्वेद के अनुसार खाने में होने चाहिए छह रस, कौन से और क्यों?

जब शरीर को स्वस्थ रखने की बात आती है, तो हमारे खानपान की आदतें इसमें अहम भूमिका निभाती हैं

आयुर्वेद के अनुसार खाने में होने चाहिए छह रस, कौन से और क्यों?
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नई दिल्ली। जब शरीर को स्वस्थ रखने की बात आती है, तो हमारे खानपान की आदतें इसमें अहम भूमिका निभाती हैं। हम दिनभर जो भी खाते-पीते हैं, जरूरी नहीं कि वो शरीर के लिए फायदेमंद ही हो। आयुर्वेद में हर चीज के खाने-पीने का समय मौसम और लोगों की शारीरिक संरचना के हिसाब से तय किया गया है। ऐसे में अगर आप फिट और स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो आयुर्वेद के अनुसार खुद को स्वस्थ रखने के लिए खाने में छह रस शामिल करने चाहिए।

आइए जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार ये छह रस कौन से हैं और क्यों जरूरी हैं। आयुर्वेद के अनुसार मधुर (मीठा), लवण (नमकीन), आंवला (खट्टा), कटु (कड़वा), तिक्त (तीखा) और कषाय (कसैला) रसों को छह रसों में गिना जाता है। ये रस शरीर की प्रकृति माने जाते हैं। हमें इसके अनुसार ही भोजन करना चाहिए। इससे शरीर में पोषक तत्वों का असंतुलन नहीं होता।

मधुर रस (मीठा) शरीर को ऊर्जा और ताकत देता है। यह शरीर के लिए जरूरी है, लेकिन इसका अधिक सेवन करने से मधुमेह और अन्य समस्याएं हो सकती हैं। आंवला रस (खट्टा) पाचन को बढ़ावा देता है और शरीर को विटामिन और खनिज प्रदान करता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। लवण रस (नमकीन) शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है। यह शरीर के लिए जरूरी है, लेकिन इसका अधिक सेवन करने से उच्च रक्तचाप और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

वहीं कषाय रस (कड़वा) शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। तिक्त रस (तीखा) शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। कटु रस (तीखा) शरीर को ऊर्जा और ताकत प्रदान करता है। यह शरीर के लिए जरूरी है, लेकिन इसका अधिक सेवन करने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

जब हम अपने खाने में छह रसों का इस्तेमाल शुरू करते हैं, तो हमारे शरीर की पाचन क्रिया बेहतर होती है। इसके साथ ही जब हमें सभी रस भरपूर मात्रा में मिलते हैं, तो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इन रसों के संतुलित मात्रा में मिलने से ऊर्जा और ताकत बढ़ती है। साथ ही शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। इसके अलावा वजन संतुलित रहने के साथ-साथ त्वचा और बाल भी स्वस्थ रहते हैं।

ज्ञात हो कि आयुर्वेद में साफ-सफाई को बहुत महत्व दिया गया है। खाने से पहले हाथ धोना बहुत जरूरी है। इसलिए खाना खाने के पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से सैनिटाइज करें या हैंडवॉश से धोने के बाद ही खाना खाएं।


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