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दुर्घटना, आग, तेजाब हमले में घायलों का तुरंत हो सकेगा, प्राइवेट अस्पताल में इलाज

दिल्ली की सड़कों पर वाहन से अथवा अन्य किसी कारणवश दुर्घटना में घायल हुए लोगों व एसिड हमलों व आग लगने के कारण घायल हुए लोगों के इलाज का खर्च अब राज्य सरकार वहन करेगी

दुर्घटना, आग, तेजाब हमले में घायलों का तुरंत हो सकेगा, प्राइवेट अस्पताल में इलाज
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नई दिल्ली। दिल्ली की सड़कों पर वाहन से अथवा अन्य किसी कारणवश दुर्घटना में घायल हुए लोगों व एसिड हमलों व आग लगने के कारण घायल हुए लोगों के इलाज का खर्च अब राज्य सरकार वहन करेगी।

दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल ने इस योजना को मंजूरी दे दी है और प्रस्ताव के मुताबिक दुर्घटना में घायल व्यक्ति दिल्ली का नागरिक हो अथवा देश के किसी भी राज्य का नागरिक इलाज पर होने वाला पूरा खर्च सरकार वहन करेगी।

यह जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि सरकारी अस्पतालों के साथ साथ ऐसे घायलों का इलाज नजदीक के प्राइवेट अस्पताल में भी हो सकेगा।

गौरतलब है कि दिल्ली में हर साल करीबन आठ से 10 हजार दुर्घटनाएं होती हैं और इनमें 15 से 20 हजार लोग घायल अथवा चोटिल हो जाते हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश सालाना 1600 से अधिक घायलों की मृत्यु भी दर्ज की जा रही है। देखने में यह आता है कि अधिकांश मामलों में दुर्घटना अथवा हादसा होने के बाद मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक पुलिस नियंत्रण कक्ष की जिप्सी (पीसीआर), एंबुलेंस, सहायता करने वाले ऑटो चालक आदि सरकारी अस्पताल ले जाते हैं। सत्येंद्र जैन ने कहा कि सरकार चाहती है कि हादसों में अथवा दुर्घटनाओं में चोटिल होने वालों को समय पर गोल्डन आवर कहे जाने वाले घायल होने के एक घंटे के भीतर इलाज मुहैया करवाया जाए।

श्री जैन ने माना कि अभी सरकारी व्यवस्था के चलते देर से अस्पताल पहुंचने पर कई मामलों मृत्यु हो जाती हैं इसीलिए जल्द इलाज के लिए अब किसी भी नजदीक के प्राइवेट अस्पताल में भी इलाज करवाकर घायल की जान बचाई जा सकेगी और इसका पूरा खर्च सरकार वहन करेगी। यह प्रस्ताव उपराज्यपाल को भेजा जा रहा है और जिस दिन से यह नियम लागू होगा उसके बाद होने वाले हादसों में प्रभावितों को यह लाभ मिल सकेगा। घायलों को अस्पताल ले जानेवालों को दो हजार रूपए देने की योजना भी इसी योजना के साथ शुरू की जाएगी। बता दें कि इस योजना को पहले ही उपराज्यपाल से मिल चुकी है।

योजना एवं वित्त विभाग की यूनिट के पुनर्गठन को मंजूरी

दिल्ली सरकार ने योजना एवं वित्त विभाग की निगरानी एवं मूल्यांकन यूनिट के पुनर्गठन को मंजूरी दे दी है ताकि विकास की सरकारी नीतियों को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके। यूनिट सदियों पुराने निगरानी तंत्र के अनुसार कार्य कर रही है इसलिए अब आधुनिक तकनीक के साथ इसके कामकाज को और बेहतर बनाया जा सकेगा जिससे जननीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके। आउटकम बजट के आधार पर सरकार अब स्वायत्त सर्वेक्षण, आंकड़ों व अनुमान को सरकारी नीतियों के संबंध में विश्लेषण कर सकेगी।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि सरकार आंकड़ों को नागरिकों व अनंसधानकर्ताओं के लिए उपलब्ध करवाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार सर्वे, आंकड़ों के आधार पर तैयार होने वाली नीतियों पर विश्वास करती है इसीलिए देश के पहले 2017-18 आउटकम बजट को लागू किया। इसीलिए मार्च में जो बजट लागू किया अक्टूबर 2017 में उसके परिणाम दिखे और दिल्ली सरकार ने पॉलिसी इंपैक्ट फंड पांच करोड़ रूपए जारी किया जिससे सरकारी योजनाओं को लागू करने के पुख्ता व वैज्ञानिक प्रमाण मिल सके।


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