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माध्यमिक कक्षाओं के लिए शैक्षणिक कैलेंडर जारी

मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने माध्यमिक कक्षाओं के छात्र-छात्राओं की शैक्षणिक गतिविधियों के लिए वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर जारी किया है

माध्यमिक कक्षाओं के लिए शैक्षणिक कैलेंडर जारी
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नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने माध्यमिक कक्षाओं के छात्र-छात्राओं की शैक्षणिक गतिविधियों के लिए वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर जारी किया है। यह अकादमिक कैलेंडर छात्रों की शिक्षा को सुचारु रखने के लिए एनसीईआरटी द्वारा बनाया गया है। कैलेंडर को छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों की मदद से तैयार किया गया है।

इस कैलेंडर को साप्ताहिक आधार पर जारी किया जायेगा। इस कैलेंडर की सबसे प्रमुख बात यह है कि इन गतिविधियों की मैपिंग छात्रों की सीखने के प्रतिफलों के साथ की गई है। इसके द्वारा अभिभावक और अध्यापक बच्चों की प्रगति पर भी नजर बनाये रखेंगे और पाठ्यपुस्तकों के अलावा भी बच्चों को नई चीजें सीखने के लिए प्रेरित करेंगे।

इस कैलेंडर में अनुभव आधारित शिक्षा के लिए कला और शारीरिक शिक्षा के साथ साथ योग भी शामिल किया गया है। तनाव और चिंता को दूर करने के तरीके भी इस कैलेंडर में सुझाये गए हैं। फिलहाल ये कैलेंडर में चार भाषा के विषयों संस्कृत, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी को शामिल किया गया है। इस वैकल्पिक कैलेंडर में ई-पाठशाला, एनआरओईआर और दीक्षा पोर्टल पर अध्यायवार उपलब्ध सामग्री को भी शामिल किया गया है।

मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा, "इस कैलेंडर के माध्यम से अध्यापक विभिन्न तकनीकों और सोशल मीडिया प्लेटफार्म का प्रयोग करके घर से ही बच्चों को अभिभावकों की देख रेख में पढ़ा सकते हैं। हो सकता है कि कुछ लोगों के पास मोबाइल फोन पर या घर पर इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध ना हो और वो सोशल मीडिया का उपयोग ना करते हों ऐसे में इस वैकल्पिक कैलेंडर में अध्यापकों के लिए ये दिशानिर्देश भी हैं कि वो विद्यार्थियों को मोबाइल पर एसएमएस भेजकर या फोन पर कॉल कर के उनका मार्गदर्शन करें।"

इंटरनेट सुविधा उपलब्ध होने की स्थिति में अध्यापक, अभिभावक और बच्चे व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्वीटर, टेलीग्राम, गूगल मेल और गूगल हैंगऑउट द्वारा एक दूसरे से जुड़ सकते हैं और पढ़ाई जारी रख सकते हैं।

इस कैलेंडर में कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के सभी विषय शामिल किये गए हैं। कैलेंडर द्वारा सभी बच्चों जिनमें दिव्यांग भी शामिल हैं की सीखने की जरूरत का ध्यान रखा गया है। सभी बच्चों को ऑडियो बुक्स, रेडियो कार्यक्रमों, आदि के द्वारा छात्रों की जरूरतों को संबोधित किया जायेगा।


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