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अभाविप अधिवेशन, भारत में करोड़ों समस्याएं, अरबों समाधान : कैलाश सत्यार्थी

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का 67 वां राष्ट्रीय अधिवेशन शुक्रवार को प्रारम्भ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा भारत कभी बूढ़ा नहीं होगा क्योंकि वह शाश्वत है

अभाविप अधिवेशन, भारत में करोड़ों समस्याएं, अरबों समाधान : कैलाश सत्यार्थी
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नई दिल्ली। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का 67 वां राष्ट्रीय अधिवेशन शुक्रवार को प्रारम्भ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा भारत कभी बूढ़ा नहीं होगा क्योंकि वह शाश्वत है। राष्ट्र का निर्माण युवाओं के सपनों से नहीं उनके इरादों से होता है। वसुधैव कुटुंबकम की परिकल्पना को साकार करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सीमाएं अनंत हैं। कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि देश में समस्याएं बहुत हैं और समस्याओं का समाधान युवा हैं और मैं अभाविप से आह्वान करता हूं कि वे अपनी शक्ति को इस्तेमाल कर समस्याओं का समाधान करें।

जबलपुर में आयोजित अधिवेशन के उद्घाटन एवं प्रोफेसर यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार के वितरण में नोबल शांति पुरस्कार प्राप्तकर्ता कैलाश सत्यार्थी, प्रा यशवंत राव केलकर युवा पुरस्कार 2021 विजेता कार्तिकेयन गणेशन उपस्थित रहे।

अभाविप के अधिवेशन में देश भर के 700 से अधिक प्रतिनिधि प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित रहे एवं हजारों प्रतिनिधि देश भर के 2704 स्थानों पर आभासीय माध्यम से कार्यक्रम से जुड़े। 3 दिन चलने वाले अधिवेशन में कश्मीर से कन्याकुमारी एवं अटक से कटक तक सभी क्षेत्रों से प्रतिनिधि सम्मिलित हैं।

इस अधिवेशन में शिक्षा, वर्तमान परिदृश्य, खेलों आदि पर प्रस्ताव पारित होंगे एवं वर्ष भर के लिए मंथन होगा। अभाविप की वर्ष भर की कार्यकारिणी भी अधिवेशन में घोषित होगी।

अभाविप के अधिवेशन से पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद् की बैठक भी संपन्न हुई जिसमें जनजाति गौरव दिवस मनाये जाने को लेकर केंद्र सरकार के निर्णय का स्वागत किया है।

इस अवसर पर अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा की, कोरोना की विपरीत परिस्तिथियों के बाद भी अभाविप ने अपने कार्य में नवाचार किया। आज स्कूली शिक्षा से लेकर विदेशों में पढ़ने वाले भारतियों तक विद्यार्थी अभाविप में काम कर रहे हैं।

यशवंत राव केलकर युवा पुरस्कार विजेता कार्तिकेयन गणेशन ने कहा मै अभिभूत हूं और मेरे पास शब्द नहीं हैं कि ये पुरस्कार मुझे दिया गया। मैं जहां से आता हूं वहां कोई सुविधाएं नहीं हैं पर अभाविप मुझे ढूंढने में सफल हुआ। मैं 15 वर्षों तक अनाथालय में रहा और अब उसी अनाथालय का निदेशक हूं। मेरे जीवन का उद्देश्य दिव्यांगजन के लिए काम करने का है और यह पुरस्कार मुझे अपने कार्य को और बेहतर करने के लिए प्रेरित करेगा। मुझे समझ आया है कि जब तक आप खुद को साबित नहीं कर लेंगे तब तक आपके कार्यों की सराहना कोई और नहीं करेगा।


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