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आप ने गुवाहाटी लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार वापस लिया, कांग्रेस को दी चुनौती

आम आदमी पार्टी (आप) ने विपक्षी वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए शुक्रवार को गुवाहाटी लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार वापस ले लिया

आप ने गुवाहाटी लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार वापस लिया, कांग्रेस को दी चुनौती
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गुवाहाटी। आम आदमी पार्टी (आप) ने विपक्षी वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए शुक्रवार को गुवाहाटी लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार वापस ले लिया।

हालांकि, आप ने पहले जिन दो अन्य सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है, उन सीटों पर से कांग्रेस को अपने उम्मीदवार वापस लेने की चुनौती दी है।

आप के राज्य प्रमुख भाबेन चौधरी ने असम के कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा, ''आम आदमी पार्टी ने विपक्षी एकता और वोटों के विभाजन को रोकने के लिए त्याग करने का फैसला किया है। आप की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) ने गुवाहाटी लोकसभा सीट पर चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।''

पत्र में आगे कहा कि आप जानते हैं 'आप' ने भाजपा के बाद गुवाहाटी नगर निगम चुनावों में सबसे ज्यादा वोट हासिल किए। हालांकि, विपक्ष के वोटों को विभाजित होने से बचाने के लिए, हमने गुवाहाटी लोकसभा सीट पर चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।

असम में सीट बंटवारे पर कई महीनों से बातचीत चल रही है। जब पूरे देश में विपक्ष एकजुट है, तो असम में भी विपक्षी एकता बनाए रखना हमारी कोशिश रही है। हमारी तमाम कोशिशों के बाद जब फरवरी तक कोई नतीजा नहीं निकला तो हमने तीन उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया।

हमारी घोषणा के बावजूद, कांग्रेस-आप के बीच असम और दिल्ली दोनों में बातचीत जारी रही है। हमें बताया गया कि हल जरूर निकलेगा। लेकिन, जब 12 मार्च को कांग्रेस ने असम की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की तो हम पूरी तरह चौंक गए। क्या इससे वोट बंटकर भाजपा को मदद नहीं मिलेगी?

आप ने कांग्रेस और असम में कई दलों के संयुक्त विपक्षी मंच को दो लोकसभा सीटों से अपने उम्मीदवार वापस लेने की चुनौती भी दी है।

पत्र में कहा गया, ''हम कांग्रेस पार्टी और संयुक्त विपक्षी मंच को भी चुनौती देते हैं कि वे सोनितपुर और डिब्रूगढ़ लोकसभा सीट से अपने उम्मीदवारों को वापस लेकर हमारे इशारे का जवाब दें। अन्यथा यह स्पष्ट हो जाएगा कि कांग्रेस पार्टी ने भाजपा के साथ सेटिंग कर ली है और केवल भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए लड़ रही है। असम के लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे।''


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