नहीं चली गुजरात में “झाडू”, अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत जब्त
दिल्ली की विधानसभा की 70 में से 67 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी को गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सामने बुरी तरह से हार का मुंह देखना पड़ा

नई दिल्ली। दिल्ली की विधानसभा की 70 में से 67 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी को गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सामने बुरी तरह से हार का मुंह देखना पड़ा। पंजाब विधानासभा चुनाव में हार के बाद पार्टी को पंजाब नगर निगम चुनाव में भी विशेष सफलता नहीं मिली, लेकिन गुजरात के सूरत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बैठकें की, सभाएं की और रोड शो किए फिर पार्टी नेताओं ने भी दावे किए कि गुजरात में आप को भारी सफलता तय है। लेकिन परिणाम के बाद पता चला कि पार्टी एक प्रतिशत मत भी हासिल नहीं कर सकी।
दिल्ली में भाजपा-कांग्रेस को धूल चटाने वाली आम आदमी पार्टी के लिए गुजरात चुनाव के नतीजे भारी निराशाजनक रहे।आम आदमी पार्टी लंबे समय से गुजरात में चुनाव की तैयारी कर रही थी और पार्टी का इरादा बड़े स्तर पर चुनाव में जाने का था, लेकिन चुनाव नजदीक आते-आते उसकी योजना सिमट गई और पार्टी ने महज 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे।
पार्टी के प्रभारी गोपाल राय गुजरात में उम्मीद लगाए थे कि कम से कम विधानसभा में प्रवेश तो मिलेगा ही और इसीलिए कई मुद्दों पर पार्टी के बयानवीर अपने तरकश से तीखे, बयानों वाले तीर भी चलाते रहे लेकिन सोमवार को जब परिणाम घोषित हुए तो आप का एक भी उम्मीदवार दूसरे पायदान तक पर नहीं आ सका। यहां तक कि उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। ऊंझा सीट पर रमेशभाई पटेल को आम आदमी पार्टी ने चुनाव लड़ाया था, लेकिन वो फेल गए। पटेल आठवें नंबर पर रहे और 400 वोट का आंकड़ा भी नहीं छू पाए।
चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार बापूनगर सीट पर पार्टी ने अनिल वर्मा को टिकट दिया था और यहां उनके सामने भाजपा के जगरूप सिंह राजपूत और कांग्रेस के हिम्मतसिंह पटेल थे व यहां भी आप का प्रदर्शन महज 1100 से कुछ अधिक वोट पर सिमट गया। गोंडल विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी निमिशाबेन धीरजलाल थीं जिन्हें महज 2179 वोट मिले, जबकि इस सीट पर जीत दर्ज करने वाले बीजेपी उम्मीदवार को 70 हजार से ज्यादा वोट पड़े।
इसी तर्ज पर कई अन्य सीटों पर भी ऐसे उम्मीदवारों की संख्या चंद ही दिखी जो एक हजार मतों के आंकड़ों को पार कर सके। हां, कुछ उम्मीदवार सौभाग्यशाली जरूर रहे जो दो से चार हजार मत तक हासिल कर सके। पार्टी के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इन परिणामों का अंदाजा था इसीलिए उन्होने शायद गुजरात चुनाव में दमखम नहीं झोंका और अकेले संघर्ष कर रहे उम्मीदवारों पर पार्टी के ही एक बड़े नेता ने आज इशारों में कह दिया कि पार्टी उम्मीदवारों को एकात्म संघर्ष के लिए प्रोत्साहन।


