Top
Begin typing your search above and press return to search.

दिव्यांग बेटे को कंधे पर टांगकर सैकड़ों किमी चली महिला

देश में कोरोना महामारी से गहराए रोजी रोटी के संकट के बीच मां की ममता सहित कई अन्य मजबूत रिश्तो की कहानी सामने आ रही है।

दिव्यांग बेटे को कंधे पर टांगकर सैकड़ों किमी चली महिला
X

पन्ना| देश में कोरोना महामारी से गहराए रोजी रोटी के संकट के बीच मां की ममता सहित कई अन्य मजबूत रिश्तो की कहानी सामने आ रही है। रोटी का संकट तो आया मगर रिश्तो की गांठ और मजबूत हो गई है। इसका प्रमाण है उस महिला की कहानी जिसने अपने दिव्यांग बेटे को ही कंधे पर टांग कर सैकड़ों किलोमीटर का रास्ता पैदल ही नाप दिया।

मध्यप्रदेश के पन्ना जिले से गुजर रही एक महिला अपने बेटे के साथ डंडे में कपड़ा बांधकर उसमें दिव्यांग बच्चे को लेकर चले जा रही थी, उसे जिसने भी देखा वही सहम गया और दिमाग में सवाल उठा कि आखिर इस डोली रुप में क्या ले जा रही है महिला। जब पता चला कि उस कपड़े में महिला का दिव्यांग बेटा लेटा हुआ है, जिसे वह सूरत से सतना जिले के मझगंवा तक लेकर जा रही है, तो हर किसी का मन द्रवित हो गया और मदद के लिए भी लोग आगे आ गए।

सतना जिले के मझगंवा की रहने वाली हैं राजकुमारी और वे रोजी रोटी की तलाश में सूरत गई थी। वहां उनके पास काम था और जिंदगी ठीक-ठाक चल रही थी मगर कोरोना महामारी आने के कारण बंदी हुआ तो काम धंधा पूरी तरह बंद हो गया। जो पूंजी थी वह खर्च हो गई तो उनके पास घर लौटने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं बचा था, इसलिए वे अपने तीनों बच्चों के साथ गांव को लौट पड़ी। उनका एक बच्चा दिव्यांग है जो चल नहीं सकता। इन स्थितियों में राजकुमारी ने तय किया कि वे अपने दो बच्चों के साथ लकड़ी के डंडों में कपड़े की झोली बनाकर दिव्यांग बच्चे को उसमें लिटा कर गांव की तरफ बढेंगी। उसके बाद वे अपने सफर पर निकल पड़ी।

राजकुमारी बताती है कि रास्ते में कुछ जगह खाना मिला, वहीं कई जगह पानी तक नहीं मिला। फिर भी वे आगे बढ़ती गई। सड़कों किनारे लोग खाना भी बांट रहे है, पानी का इंतजाम किए है। इसके अलावा कई ऐसे वाहन चालक मिले जिन्होंने कुछ किलो मीटर का रास्ता तय कराने में मदद भी की। इस यात्रा के दौरान उन्हें लोगों का सहयोग भी मिला।

राजकुमारी अपने दोनों बच्चों के साथ तीसरा बच्चा जो दिव्यांग है उसे झोली में टांग कर सूरत से लगभग 1000 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करने के बाद पन्ना पहुंची। पन्ना में उन्हें जिसने देखा वह कुछ देर के लिए ठिठक गया और तमाम तरह की शंकाएं उसके मन में उठने लगी। लोग राजकुमारी के पास पहुंचे भी और वस्तुस्थिति पूछी।

स्थानीय नागरिक प्रमोद पाठक बताते हैं कि उन्होंने महिला को इस तरह जाते देखा तो मन द्रवित हो गया और मदद का विचार बनाया कई लोगों ने मिलकर महिला और उसके बच्चों को खाना खिलाया साथ ही कुछ आर्थिक मदद भी की।

स्थानीय पत्रकार नदीम उल्ला बताते हैं कि जागरूक नागरिकों ने राजकुमारी और उसके परिवार की जानकारी प्रशासन को दी तो तहसीलदार दीपा चतुर्वेदी ने महिला को आईसोशन सेंटर पर बुलाया। उसके भोजन आदि की व्यवस्था की और फिर पन्ना से सतना तक भिजवाने का प्रबंध किया और वह बच्चों के साथ सतना के लिए रवाना हो गई।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it